थक चुकी हूँ मैं दर्द सहते सहते
थोड़ा चैन और सुकून चाहिए
न ये दर्द पीछा छोड़ते हैं
न तुम्हारा प्यार मुझे जाने देता है
थक गया है मन अपने आपको समझाते समझाते यही जीवन है
यहाँ दुःख भी हैं सुख भी
दुखों के साथ जीना सीख लो
तुम्हारा प्यार मुझे हिम्मत देता है
तुम्हारा साथ मुझे महफ़ूज़ रखता है
पर अब थोड़ा आराम चाहती हूँ
बहुत थक चुकी हूँ मैं
जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे
असाध्य कष्ट भी सहे
सब तुम्हारे प्यार की ताक़त थी
जो मैं आज यहाँ हूँ
ज़िंदगी से आशा भी निराशा भी
कभी बच्चों का प्यार जीने की
आस जगाता है कभी
तुम्हारा साथ
कभी माँ का ख़्याल
मन को झकझोर जाता है
कई जिम्मदारियों से बँधा है जीवन
अभी उन्हें पूरा करना है
जब ये ख़्याल मन में आता है
बस वहीं फिर सोचती हूँ
अभी कहाँ आराम
सब दर्द तज़ मैं फिर
मुस्कुरा के साथ तुम्हारे हो लेती हूँ
#अदिति रूसिया