al
sharma
bohara
एक समय मे सुंदर वन
मे दो शेरों मे यारी थी।
दोनो की शामिल ताकत की,
दहशत वन में भारी थी ।
इक शातिर गीदड़ ने अपनी
कुटिल युक्ति अजमाई थी ।
भंग मित्रता हुई शेरों की
ठसल बड़ी गरमाई थी।
समय बीतता रहा
बराबर शक्ति सत्ता पाई थी।
किन्तु अभी तक उनके
मन में अरिता की तरुणाई थी।
गीदड़ राजा सेना लेकर
एक शेर पर टूट पड़ा।
गीदड़ बहुमत के भय से
सिंह कबीला पीत पड़ा।
लड़े भिड़े संघर्ष किया
पर गीदड़ सेना भारी थी ।
शेर कबीला जख्मी हो गया
रार अभी भी जारी थी ।
दूजा शेर आगया कही से
उसने हिम्मत दिखलाई ।
गीदड़ सेना पिटती,कुटती
गई भाग कर हरजाई ।
दूजा शेर भी लौट चला
वो चला जिधर से आया था।
प्रथम शेर के इक बेटे ने
फिर ऐसा प्रश्न उठाया था।
तात आप और उन सिंहो में
रही अदावत भारी थी ।
आज उन्हौने एन वक्त क्यूँ
जान बचाई हमारी थी।
रिश्ते रिश्ते ही होते पर
इतने भी कमजोर न हो ।
गीदड़ कुत्ते भारी पड़ जाये
सिंहो का पुरजोर न हो।
बात समझ मे आई पिता की,
अक्ल खुली तब सारी थी।
एक समय में सुन्दर वन में
दो शेरों की यारी थी।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः