Read Time4 Minute, 23 Second
“रिया, आज स्कूल में होमवर्क दिया है या नही?” अनन्या अपनी बेटी से पूछती है । रिया झट से बैग में से पुस्तक निकलकर कहती है, “हाँ माँ ।” जोकर की तस्वीर दिखाती हुई, “माँ, देखो , मैम ने इस जोकर की छवि बनाकर उसके ऊपर पाँच वाक्य लिखकर ले जाने के लिए कहा है । माँ, ड्राइंग मैं बना लूंगी, लेकिन जोकर के बारे में पाँच लाइन आप लिख देंगी न !” “हाँ बिल्कुल लिख दूंगी , ” कहकर अनन्या घर के काम निपटाने लगती है ।
सासू माँ के कपड़े धोते- धोते सोच रही है, ‘जोकर अपना हर दर्द छिपाकर लोगों को हँसाता है । मेरी जिंदगी भी जोकर की तरह ही बन गई है । सासू माँ जबसे बीमार पड़ी हैं तब से उनकी साफ-सफाई, फिर ससुर जी, देवर जी और पति की ख्वाहिशों के पकवान बनाकर देना । रिया तो अब आठ साल की है, उसकी तो देखभाल करनी है ही । कभी किसी के साथ गम नही बाँट सकती हूँ, सबको हँस – हँसकर खिलाती – पिलाती हूँ । कभी मन उदास रहा तो सबकी गाली सुनना पड़ता है कि कहीं मैं सबसे नाराज हूँ, काम करने के कारण मुंह फुलाकर बैठी हूँ । और अविनाश…..अविनाश तो कहने को मेरा जीवन साथी है । मेरा दुख – दर्द बाँटने के बजाय अक्सर रात को हैवान की तरह मुझ पर टूट पड़ता है । किसी से कुछ भी कह नही सकती ।’ ” माँ…माँ देखो न, मैंने जोकर का चित्र बना लिया ।” रिया की आवाज से अनन्या की सोच भंग हो गई और चित्र देखकर हँसकर बोली , “अरे वाह, बहुत सुन्दर चित्र बनाई हो । रुको मैं थोड़ी देर में आकर जोकर पर पाँच लाइन बताती हूँ ।”
थोड़ी देर बाद अनन्या रिया को जोकर के बारे बताने लगी और रिया लिखती गई ,”जोकर एक किरदार है । वो अपना किरदार बखूबी निभाता है । वो अपनी चेहरे पर रंग लगाकर असली चेहरा छिपाता है । अपने दुख – दर्द छिपाकर लोगों को हँसाता है । जो सब कर सकता है, असल में वही जोकर है ।” “वाह माँ, जोकर के बारे में आपको इतना कैसे पता !” रिया बोल उठती है । अनन्या हँस कर जवाब देती है, “मैं तुम्हारी माँ हूँ न, इसलिए……”
#वाणी बरठाकुर ‘विभा’
परिचय:श्रीमती वाणी बरठाकुर का साहित्यिक उपनाम-विभा है। आपका जन्म-११ फरवरी और जन्म स्थान-तेजपुर(असम) है। वर्तमान में शहर तेजपुर(शोणितपुर,असम) में ही रहती हैं। असम राज्य की श्रीमती बरठाकुर की शिक्षा-स्नातकोत्तर अध्ययनरत (हिन्दी),प्रवीण (हिंदी) और रत्न (चित्रकला)है। आपका कार्यक्षेत्र-तेजपुर ही है। लेखन विधा-लेख, लघुकथा,बाल कहानी,साक्षात्कार, एकांकी आदि हैं। काव्य में अतुकांत- तुकांत,वर्ण पिरामिड, हाइकु, सायली और छंद में कुछ प्रयास करती हैं। प्रकाशन में आपके खाते में काव्य साझा संग्रह-वृन्दा ,आतुर शब्द,पूर्वोत्तर के काव्य यात्रा और कुञ्ज निनाद हैं। आपकी रचनाएँ कई पत्र-पत्रिका में सक्रियता से आती रहती हैं। एक पुस्तक-मनर जयेइ जय’ भी आ चुकी है। आपको सम्मान-सारस्वत सम्मान(कलकत्ता),सृजन सम्मान ( तेजपुर), महाराज डाॅ.कृष्ण जैन स्मृति सम्मान (शिलांग)सहित सरस्वती सम्मान (दिल्ली )आदि हासिल है। आपके लेखन का उद्देश्य-एक भाषा के लोग दूसरे भाषा तथा संस्कृति को जानें,पहचान बढ़े और इसी से भारतवर्ष के लोगों के बीच एकता बनाए रखना है।
Post Views:
625
आदरणीया वाणी जी एक युवा साहित्यकार है। इनकी अभी तक कोई कृतियां प्रकाशित हो चुकी है इनके यह कहानी दिल को छू गई हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार मे वाणी जी का विशेष योगदान रहा आपको ह्रदय से हार्दिक बधाई