*हिंदी मेरा अभिमान*

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aditi rusiya
बहुत दिनों के बाद रिया भारत आई थी ।रिया ने भारत आते ही सबसे पहले रागिनी को फ़ोन लगाया और कहा ………
जय श्री कृष्णा रागिनी कैसी हो ? मैं भारत आ गई हूँ ,तुम सभी से मिलना चाहती हूँ । बताओ कब फ़ुर्सत में हो तुम सब किसी रेस्टोरेंट में मिलते हैं फिर ।
रागिनी चुपचाप रिया की बातें सुन रही थी रिया ने उसे कुछ बोलने का मौक़ा ही नहीं दिया था । सोच रही थी इतने लम्बे अरसे से रिया विदेश में रहती है फिर भी इतनी शुद्ध हिंदी में बोल रही है बिल्कुल नहीं बदली ।
जब रिया ने कहा अरे बोलो भी …………कब मिलना है कुछ तो बोलो
तब जैसे रागिनी की तंद्रा टूटी हाँ हाँ …..बोलो तो आज ही !
हाँ ! तो फिर हम सब आज ही मिलते हैं ।
इतना कह फ़ोन कट गया ।

रागिनी ने सभी को फ़ोन लगाकर शाम चार बजे पास के ही रेस्टोरेंट में बुला लिया। सभी पुराने मित्रों से मिलकर रिया बहुत ख़ुश थी सालों बाद जो मिली थी । रिया का स्वभाव बिल्कुल नहीं बदला था वो अपने मित्रों से वैसे ही मिली जैसे पहले  करती थी वही ख़ुशमिज़ाजी , वही अल्लहड़पन , मज़ाक़ करने का अन्दाज़ सब कुछ वैसा ही था ।

नमिता ने कहा मज़ा आ गया यार तुझसे मिलकर हम तो न  जाने क्या क्या सोचते थे तेरे बारे में ।
मैं कुछ बोलूँ ! यार रिया जबसे तुझसे बात की एक बात समझ नहीं आई यार ये बता तू तो विदेश में रहती है पर तेरा रहन सहन भाषा बिल्कुल नहीं बदला । तेरे बच्चे भी हिंदी बोलते हैं ! ……….

रागिनी की बात बीच में ही काटते हुए रिया ने कहा ….मैं विदेश में रहती हूँ ,रागिनी पर मैं अपने देश अपने संस्कारों को नहीं भूली हूँ ।आज भी मैं अपने देश की मिट्टी से जुड़ी हुई हूँ और *हिंदी मेरी मात्रभाषा है हिंदी मेरा अभिमान है*।

सभी स्तब्ध हो रिया की बातें सुन रहे थे और थोड़ी ही देर मेन सारा हॉल तालियों से गूँजायमान हो गया ।

अदिति रूसिया 
वारासिवनी

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।