कलम जब भी बोलती है सच बोलती है
इन्दौर। शासकीय केंद्रीय अहिल्या पुस्तकालय में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत पुस्तकालय, हिंदी परिवार इंदौर एवं संभागीय पुस्तकालय संघ इंदौर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित मंगलवार को मासिक पाठक संसद में कवियों ने विभिन्न विषयों पर अपनी रचनाएं सुनाकर ग्रीष्म की तपन को शीतलता में परिवर्तित कर दिया। आरंभ में माँ सरस्वती की वंदना सहित युवा कवित्री वाणी जोशी ने मन मंदिर के द्वार पर हो रहा शंखनाद तथा कलम जब भी बोलती है सच बोलती है सुना कर शुरुआत की। अर्पणा जोशी ने मैं अपनी बात कहने का अलग ही ढंग रखती हूं गजल सुनाई। दिनेश तिवारी ने कांटो के बीच फूल खिलते हैं जिंदगी का फलसफा कहते हैं कविता पढ़ी। सुरेखा सिसोदिया ने, राम मिले करुणा के सागर गायत्री प्रसाद शुक्ल ने वर्तमान ,में हो रहे युद्ध पर पीड़ा व्यक्त करते हुए सुनाया मानव ही दुश्मन है मानव का। तृप्ति मिश्रा के गीत के बोल क्यों बसंत गीत गाते हो तथा रिया मोरे ने कुछ मुक्तकों के साथ कविता सुनाई ,छोड़े हैं सुख सब तुम्हारे लिए खूब सराही गई। भीम शंकर पवार ने प्रेम गीत , डॉक्टर बुला कार ने माँ सुनो किताबें पढ़ने का मन प्रेरणादायक कविता सुनाई तो ओम उपाध्याय ने दो व्यंग रचनाएं सुनाकर गुदगुदाया।
डॉ अर्पण जैन ने माँ शारदे की वंदना घनाक्षरी में सुनाई तो लिली डाबर ने एक मार्मिक छोटी कहानी एवँ सत्यनारायण मंगल ने गर्मी पर तथा हंसा मेहता ने समसामयिक रचना पढ़ी।
संचालन कर रहे हरेराम वाजपेई का गीत जल तो जल है नियम ना बदलें सागर का हो या आंसू का सराहा गया। कार्यक्रम में राम चंद्र दुबे,पुष्पा यादव,प्रिंसी वर्मा,रोहित त्रिवेदी एवं अभ्यास मंडल की मनीषा गौर भी उपस्थित थी। श्री प्रभु त्रिवेदी सदाशिव कौतुक, संतोष मोहंती एवं प्रदीप नवीन तथा ज्योति जैन ने आभासी रूप से सहभागिता की। अध्यक्षीय उद्बोधन डॉ जी डी अग्रवाल ने दिया तथा अंत में आभार मुकेश तिवारी ने व्यक्त किया।