आज रोटी के लाले है
मगर दस दिन से एक पंडित
घर में डेरा डाले है!
हवन कि खुशबु से
घर, आंगन महक रहें हैं
मायुश चेहरों पर आशा के पंछी चहक रहें हैं
घर का चूल्हा राख से अट्टा पड़ा है
किन्तु अग्नि कुंड में दहकते ज्वाले है !
बुढा बाप चारपाई पर पड़ा एक अद्द पानी कि घूंट को तरस
रहा है
काजू , किसमिस और फलों के
ढेर
पंडित जी के हवाले है
वास्तु शास्त्र के हर हथकंडे
को अपनाया जा रहा है !
भूखें पेटो को रोटी के लिए तडफाया जा रहा था
भोले भाले इंसानों के सर
पर मंडराते ये नाग काले है!
काफी दिनों से अविराम डोंग चल रहा है
समस्या का हल कहां मिल रहा है?
देव दूत , भुत प्रेत सब सो गये !
मगर मूर्खो कि दुनिया में
स्याणों के धंधे निराले हैं!
पवन ‘’अनाम’’
राजस्थान कॉलेज ,पल्लू