नर तन है अनमोल पिया ,
जिसका भाव न मोल पिया।
लख – चौरासी के चमड़े से ,
बना है जिसका ढोल पिया।।
पैसे से तौले जो इसको,
बहुत बड़ा बकलोल पिया।
मानव – मुक्ति की सभी युक्ति,
इसमें फिट सब रोल पिया।।
माया – काया , रति – गति की ,
इसमें बहुत है झोल पिया।
सुर नर मुनि जिस तन को तरसे,
ऐसा है यह चोल पिया।।
जाने वाला चला गया, अब,
मत पिटो तुम ढोल पिया।
‘भवन’ कवन भौतिक पति पूछे ,
जिसको मिला अनमोल पिया?
#रामभवन प्रसाद चौरसियापरिचय : रामभवन प्रसाद चौरसिया का जन्म १९७७ का और जन्म स्थान ग्राम बरगदवा हरैया(जनपद-गोरखपुर) है। कार्यक्षेत्र सरकारी विद्यालय में सहायक अध्यापक का है। आप उत्तरप्रदेश राज्य के क्षेत्र निचलौल (जनपद महराजगंज) में रहते हैं। बीए,बीटीसी और सी.टेट.की शिक्षा ली है। विभिन्न समाचार पत्रों में कविता व पत्र लेखन करते रहे हैं तो वर्तमान में विभिन्न कवि समूहों तथा सोशल मीडिया में कविता-कहानी लिखना जारी है। अगर विधा समझें तो आप समसामयिक घटनाओं ,राष्ट्रवादी व धार्मिक विचारों पर ओजपूर्ण कविता तथा कहानी लेखन में सक्रिय हैं। समाज की स्थानीय पत्रिका में कई कविताएँ प्रकाशित हुई है। आपकी रचनाओं को गुणी-विद्वान कवियों-लेखकों द्वारा सराहा जाना ही अपने लिए बड़ा सम्मान मानते हैं।