सर उठा कर चल नही सकता
बीच सभा के बोल नही सकता
घर परिवार हो या गांव समाज
हर नजर में घृणा का पात्र हूँ !
क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !!
जिंदगी खुलकर जी नहीं सकता
चैन की नींद कभी सो नही सकता
हर एक दिन रात रहती है चिंता
जैसे दुनिया में कोई श्राप हूँ
क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !!
दुनिया के ताने कसीदे सहता,
फिर भी मौन व्रत धारण करता,
हरपल इज़्ज़त रहती है दाँव पर,
इसलिए करता ईश का जाप हूँ !
क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !!
जीवन भर की पूँजी गंवाता
फिर भी खुश नहीं कर पाता
रह न जाए बेटी की खुशियो में कमी
निश दिन करता ये आस हूँ
क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !!
अपनी कन्या का दान करता हूँ
फिर भी हाथजोड़ खड़ा रहता हुँ
वरपक्ष की इच्छा पूरी करने के लि
जीवन भर बना रहता गूंगा आप हुँ
क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !!
देख जमाने की हालत घबराता
बेटी को संग ले जाते कतराता
बढ़ता कहर जुर्म का दुनिया में
दोषी पाता खुद को आप हूँ
क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !!
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।