काहे का रिश्ता और काहे का दखल..आज मनुष्य इतना स्वार्थी और संवेदनहीन हो गया है कि,रिश्तों की अहमियत नहीं समझ सकता। आज कोई किसी के काम में अनावश्यक तो क्या आवश्यक दखल भी नहीं देता। कहीं बात का बतंगड़,तिल का ताड़ न बन जाए। कोई किसी पर भरोसा नहीं करता,और […]

परिदृश्य चाहे वैश्विक हो,राष्ट्रीय हो,सामाजिक हो या पारिवारिक हो-कुछ भी करने से पहले यह प्रश्न हमेशा सालता है कि-`लोग क्या कहेंगे ?` उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी और इसका हमारे मूल्यों,सिद्धान्तों और जीवन पर क्या असर पड़ेगा! चिन्तन का पहलू यह होना चाहिए-हमको लोगों के कहने की कितनी परवाह करना चाहिए,क्योंकि […]

जीवन पथ पर प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन कई छोटे-बड़े कार्यों को पूरा करना होता है। कई कार्य साधारण होते हैं तो कई आपके जीवन को नई दिशा देते हैं और आपके कर्मठ,प्रतिभा सम्पन्न एवं यशस्वी होने की गवाही देते हैं। प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में सफलता पाना चाहता है अथवा […]

बैंक में एक कुर्सी के सामने लंबी कतार लगी है। हालांकि,बाबू अपनी कुर्सी पर नहीं है। हर कोई घबराया नजर आ रहा है। हर हाथ में तरह-तरह के कागजों का पुलिंदा है। किसी को दफ्तर जाने की जल्दी है,तो कोई बच्चे को लेने शाला जाने को बेचैन है। इस बीच […]

दो दिन की चांदनी,फिर अंधेरी रात… क्यों करते हैं भाई,हम राष्ट्रभाषा की बातl भूल जाओ इसे,होगा यही बेहतर… नहीं तो कैसे जा पाएंगे अंतरराष्ट्रीय स्तर परl बच्चों को फिर भारत में ही पढ़ाना होगा… अमेरिका जाने के सपनों से तुम्हें हाथ धोना होगाl आजकल तो हम हिंदी भी अंग्रेजी में […]

१९९२ के अंत में भारत के इतिहास में एक ऐसी घटना घटी है जो पीढ़ियों तक याद की जाएगीl ६ दिसंबर १९९२ को अयोध्या के मुहल्ला राम कोट में तीन गुम्बदों वाला एक ढांचा हिन्दू समाज ने अपनी सामूहिक संगठित शक्ति और उपस्थिति के आधार पर केवल बांस–बल्लियों व अपने हाथों से मात्र ५घंटे में धराशाई कर दिया। विश्वभर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।