चैत की पावन नौमी अनूप, लिए सुषमा का नया रंग लोना। राष्ट्र की संस्कृति ज्योति उदग्र, सजाये हुये शुभ बीज का बोना। कल्मष मानवों के मन का, तन का सब साथ ही आप ही धोना। जागृति की लिए दीप शिखा, की सुज्योति से ही तम का खोना। लोक में है […]
धर्मदर्शन
धर्मदर्शन
शिव बोलेः ‘हे पद्ममुखी! मैं कहता नाम एक सौ आठ। दुर्गा देवी हों प्रसन्न नित सुनकर जिनका सुमधुर पाठ।१। ओम सती साध्वी भवप्रीता भवमोचनी भवानी धन्य। आर्या दुर्गा विजया आद्या शूलवती तीनाक्ष अनन्य।२। पिनाकिनी चित्रा चंद्रघंटा, महातपा शुभरूपा आप्त। अहं बुद्धि मन चित्त चेतना,चिता चिन्मया दर्शन प्राप्त।३। […]
काली महाकाली सिद्ध काली भद्रकाली मातु, घोर रुपधारिणी तुम्हारी करूँ वन्दना।। रुप विकराल धर दुष्टों को संहारती हो, राक्षसों के मुंड माल धारिणी की वन्दना।। लाल के संवारो काज बिगड़ी बनाने वाली, काली कलकत्ता वाली बार –बार वन्दना।। पूत हूँ तुम्हारा नाम नीरज अवस्थी मेरी, अँखियों के सपने संवारो माँ की वन्दना।। […]