माँ! तुम क्या हो? मेरे ख़ून का एक कतरा और उसकी जान हो। असंख्य दैवीय स्थलों की यात्रा के पश्चात् मिलनेवाला सुभग मुक्तिफल हो। जन्मोजनम के देह की यात्रा के बाद मिलनेवाला चिर सुकून हो दुर्लभ तीर्थ हो। माँ! तुम मेरी पृथ्वी, स्वर्ग और मेरा ब्रह्मांड हो। माँ! तुम केवल […]

बरस बीत गया, समय ठहर–सा गया, तेरे साथ बीतीं कई यादें दे गया।। सुनहरे सपने पनप रहे थे तभी ममता की छाँव ले गया, तेरे आँचल की महकी–सी बहार दे गया।। न कोई संशय था, फिर भी आँखें नम कर गया, यकायक ही तेरे जाने का संदेश दे गया।। आँगन […]

सड़क किनारे, बैठे देखा उनको, जो आती–जाती गाड़ियों पर, उम्मीद की निगाहों से, टकटकी लगाये.. चारपाई की दूकान पर, खिलौने सजाकर पोंछते रहते हैं दिनभर… उनकी धूल, जो सरपट दौड़ती गाड़ियाँ, तोहफ़े में दे जाती हर रोज़। जिस चारपाई पर रातभर सोया घर का मुखिया, पत्नी बालक सभी के लिये, […]

माँ प्यारी भोली सी न्यारी न्यारी हमारी उम्र चाहे जितनी हो दुलराती हँसाती जीने की कला सिखाती ममत्व से भरी मुस्काती मन की बातें समझ लेती अंतर्यामी सी चेहरा पढ़ती आँखों में आँसू विदाई का संतोष अमानत को पाला सोच समझ के रोप दिया नयी जगह नव पौध सा कैसे […]

जीवन की छाया, वो तुम हो माँ। हर पल की साथी, वो तुम हो माँ। हर युग में पूजित, वो तुम हो माँ। जीवन का अंकुरण, वो तुम हो माँ। माँ बनकर युग को रचती, वो तुम हो माँ। वात्सल्य की सच्ची मूरत, वो तुम हो माँ। प्रेम की गंगा […]

न जाने कब से यह परिवर्तन है आया, मैं तो हमेशा से हूं मेरी माँ की प्रतिछाया। पहले तो माँ हर बात पर नसीहत देती थी, अब तो मेरी परम सखा सहेली हो गई। पहले कहती थी जल्दी उठो, अभ्यास किया करो, अब कहती है कि दोपहर में तुम भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।