रिश्ते भी तो सारे , रंग बदलते हैं, कभी प्यार कभी, नफरत में रंगते हैं।। अपने मतलब के सांचे में, हरपल ये ढलते हैं। रिश्ते भी गिरगिट सा, रंग बदलते हैं।। जब तक हो गरज इनकी, फूलों से महकते हैं। काम निकलने पर ये, नागिन सा डसते हैं।। बदले की […]
काव्यभाषा
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