अम्बर सारा नाप लिया, एक पैर से तुमने। नामुमकिन को मुमकिन, कर दिया तुमने। लाचारियाँ ना रोक सकीं, अरुणिमा तेरी राह। सहे थे दर्द लाखों पर, ना निकली मुंह से आह। दुष्टों तुझे फेंक दिया, चलती ट्रेन से। उस दिन से ना सोई तू, कभी भी चैन से। गवां के […]
काव्यभाषा
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