ठण्ड के मौसम में मैं अक्सर सोचा करती हूँ उस बर्फ की नदी को लेकर जिसकी सतह संगमरमरी पत्थर का अहसास दे जाती है कितना दुखदायी होता होगा बहती नदी का पत्थर हो जाना ठण्डा पड़ना याकि संवेदन शून्य हो जाना परंतु फिर याद आती है उसके  भीतर की जीवंत […]

है मेरी सरकार, सुन लो यह पुकार है मेरी बैठी मजबूत सरकार फिर कैसे हो रही दरकार झारखंड में सम्मेद शिखर जी, की सुन लो पुकार हम जैनी कह रहे कैसी हो तीर्थो की पवितत्रता बरकरार ऋषि मुनियों के चिंतन का सार जैन सिंद्धान्त के रूप में हो तीर्थो का […]

मैंने सोचा क्यों ना आसमान से अपना हिस्सा मांगा जाए आसमान ने कहा हिस्से तो धरती के लगते हैं मेरा सबकुछ सबका है कोई प्लॉट साइज नहीं कोई बाड़ाबंदी नहीं जिसका ‘मन’ करे जब चाहे उन्मुक्त उड़ान भर ले। अर्द्धेन्दु भूषण इन्दौर, मध्यप्रदेश लेखक वर्तमान में शहर इन्दौर में कार्यरत […]

जीवन का नव वर्ष प्रिये यह प्रीत नवल स्वीकार हो कौन – विश्वास दूँ में तुम्हें यह रीत नवल स्वीकार करो …। मुझको खिंचता निरंतर तुम गीत नई मुस्कान हो सिर्फ पक्ष नहीं दो शब्दों में यह प्रसंग नवल स्वीकार करो । विषाद राग से भरी रही न सुख कहीं […]

नए साल का नया आगमन, नई खुशियां लेकर आया है, वक़्त न ठहरा किसी के लिए, ये इसने समझाया है। यहां आने वाले भी आएँगे और जाने वाले जाएँगे, होगी शाम भी सुहानी-सी और पंछी भी चहचहाएँगे। गम का मातम भी होगा ख़ुशियों में जश्न मनाएँगे, मेहनत को यहां जिसने […]

श्री सम्मेदशिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में बुन्देली भाषा में कविता। भाव सहित एक बार नमैं तो, फल में मुक्ति-रमा लो। सम्मेद शिखर है जान जैन की, मिलकैं ई खों बचा लो।। एन जोर से चीख-चीख कें कै रव पर्वतराज। खूब गुलामी के दिन देखे पर, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।