ज़िंदगी एक बहुत खूबसूरत सफ़र, ज़िंदगी ईश्वर का अनमोल उपहार। ज़िंदगी है सुख-दुःख का संग़म , इसमें है मिलन-जुदाई की सरग़म । हैं अपने साथ,तो है हर पल मेला, नही तो है मुश्किलों का सिलसिला। किया जो अच्छा, तो मिला काम, बड़ी मेहनत के बाद पाया मुकाम। कहीं तो है […]

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मन क्यों हुआ यूँ विचलित, ये कैसी हैं बेचैनी ? कौन हूँ मैं,क्या कहूँ खुद को, पूछा जब ये सवाल खुद से.. तो अंतर्मन मेरा बोल पड़ा, है अज्ञानी, ज्ञान नहीं है। साहित्य की अभी पहचान नहीं है, अ ब स से होगी शुरुआत, करो दॄढ़ खुद को, हो जाओ […]

मुझे प्यार हुआ भी, और नहीं भी। इक़रार हुआ भी, और नहीं भी। हम तो ताकते रहे , उस चाँद की राह रातभर, बादलों की ओट से, दीदार हुआ भी,और नहीं भी।           #प्रीती दुबे परिचय : मध्य प्रदेश में ही निवासरत प्रीति दुबे प्रधानमंत्री सड़क […]

रचनात्मकता,खत्म हुई शायद, नकलों का जहाँ,बोलबाला है। झूठे लोगों की,जय-जयकार, सच्चे का मुँह यहाँ काला है। पंगु जहाँ,चढ़ने लगे पहाड़, सज्जन के,मुहँ पर ताला है। जहाँ बैठे भोले,बने सियार समझो,कुछ गड़बड़ झाला है। जहाँ जीते, हारे बैठे हैं, हारों के गले,विजयमाला है। समझ की बहती,नदी नहीं, समझो,अज्ञान का नाला है। […]

शब्दों का नहीं होता कोई आकार या प्रकार, फिर भी शब्द चुभते हैं। शब्दों का नहीं होता है कोई वजन, फिर भी शब्द चोट करते हैं। शब्दों में नहीं होती है ज्वलनशीलता, फिर भी शब्द जलाते हैं। शब्दों में नहीं होते हैं दवा के गुण, फिर भी शब्द मन के […]

बहुत दूर है तुम्हारे घर से, हमारे घर का किनारा , पर हवा के हर झोंके से , पूछ लेते हैं मेरी जान, हाल तुम्हारा। लोग अक्सर कहते हैं, जिन्दा रहे तो फिर मिलेंगे, पर मेरी जान कहती है, निरंतर मिलते रहे, तो ही जिन्दा रहेंगे। दर्द कितना खुशनसीब है, जिसे पाकर अपनों को याद करते हैं, दौलत कितनी वदनसीब है ,जिसे पाकर लोग, अक्सर अपनों को भूल जाते हैं। इसलिए तो छोड़ दिया सबको, बिना वजह परेशान करना, जब कोई हमें अपना समझता ही नहीं, तो उसे अपनी याद दिलाकर भी क्या करना। जिंदगी गुजर गई, सबको खुश करने में, जो खुश हुए वो अपने नहीं थे, और जो अपने थे मेरी जान, वो भी खुश नहीं हुए। इसलिए संजय कहता है, कर्मो से डरिए , ईश्वर से नहीं, ईश्वर माफ़ कर देता है, परन्तु खुद के कर्म नहीं। #संजय जैन परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।