पर्वत की चोटी पर जाकर, नाकाम होकर लौट आना.. दर्द की दवा ही दर्द का, हर बार बन जाना। कोई क्या देगा तुमको ख़ुशी, जब मुकद्दर में हो.. हर वक्त ही लिखा, ग़मों का बोझ उठाना। ईमानदारी का वजूद खुद, अंधकार में हो जब.. क्या रोशन करेगा किसी का, राहों […]
काव्यभाषा
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