सारा जग कर रहा जिन्हें याद, ऐसे थे हमारे चंद्रशेखर आजाद। सर पर बांधकर क्रांतिकारी ताज, आजादी के लिए किया आगाज। अंग्रेजों को देख ताव देती थी मूंछ, याद दिलाया इनको छठी का दूध। क्रांतिकारी जयघोष करती बंदूक, देश को ही माना इन्होंने सबकुछ। कुटिल चालों से देश हो रहा […]
काव्यभाषा
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