मुझे प्यार है, खेत से खलिहान से, मेहनती किसान से जो खेतों से उगाकर, देता है अनाज को। मुझे प्यार है, धरती से, धरती.. की शान से जो हर मौसम में सजी रहती है परिधान से। मुझे प्यार है, गरीब मजदूर से , जो ठंड गर्मी बरसात में.. पसीना बहाता […]
काव्यभाषा
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