मैंने कब कहा तुझसे, तू सहारे लिख देना,
गर ये तेरी मर्ज़ी है दर्द सारे लिख देना।
तू हमारा मालिक है,तू हमारा खालिक है,
हां अगर तू राज़ी है तो खसारे लिख देना।
चाहे जितनी मुश्किल हो रास्ते में तुम लेकिन,
कुछ निशान मंज़िल के, कुछ इशारे लिख देना।
ज़िन्दगी की हर मुश्किल हंस के पार कर लूँगी,
नाम पे मेंरे लेकिन कुछ सहारे लिख देना।
जब मेरी मोहब्बत की दास्तान लिखना हो,
रात,दर्द,आंसू और कुछ सितारे लिख देना।
#नादिया मसंद
परिचय : इंदौर के विजय नगर की निवासी नादिया मसंद साइकोलोजिस्ट और काउंसलर के अलावा नामवर लेखिका हैं,क्योंकि कई प्रकाशन उर्दू शायरी में ‘औरत का तसव्वुर(उर्दू)’, ‘खामोश सजदे (हिन्दी काव्य संग्रह)’ और ‘मेरांझिड़ी शाम (सिंधी काव्य संग्रह)’गिरहूँ (अनुवाद सिंधी में) आ चुके हैं। नादिया मसंद जी सिंधी,
हिन्दी,उर्दू और इंग्लिश में लेखन करती हैं। आपने मनोविज्ञान व उर्दू में एमएके साथ ही बी.एड. भी किया हुआ है। आपकी लेखनी की वजह से आपको बतौर क़द्र शानासी(सम्मान) मोहमद अली ताज पुरस्कार(उर्दू साहित्य अकादमी),साहित्य कलश की और से हरूमल रीझवानी राज्य स्तरीय पुरस्कार,बीबीसी लंदन की तरफ से ग़ज़ल प्रतियोगिता में पुरस्कार सहित विभिन्न साहित्यक और सामाजिक संस्थाओं की ओर से भी कई पुरस्कार मिले हैं।
Great Nadiaji… Well done
जबरदस्त कलाम नादिया जी
चाहे जितनी मुश्किल हो रास्ते में तुम लेकिन,
कुछ निशान मंज़िल के, कुछ इशारे लिख देना।