जाने कितनी बार हुआ है, सदा पीठ पर वार हुआ है। पढ़ा हमारा चेहरा उसने, ज्यूँ कोई अख़बार हुआ है। साज़िश में शामिल था वो ही, जिसका ये आभार हुआ है। डरते क्या हो,देखो छूकर, लोहा कितना धार हुआ है। परिचय : इंदौर में केट कालोनी निवासी प्रदीप कान्त […]
काव्यभाषा
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दरिया बहती… बढ़ती जाती… पल-पल एहसास कराती, नदियों से मिल.. खिल लहरों से, नव सागर एक दीप्त बनाती…। कभी थमना तो,तेज बहते जाना… जीवन का खेल सिखाती मुस्कुरा खुशियों से.. गमों में यूँ गुनगुना, कल..आज-कल… क्या हुआ,अब होगा क्या..? अनुरागी-वैरागी मन… रचती जन्म-जन्मान्तर… जागृत पुण्यों को करती। रागिनी बन दिल […]