आज न जाने क्यों रोने का मन कर रहा है,
आँचल में माँ के सो जाने का मन कर रहा है।
ये गुजरती ज़िन्दगी को अब,
थम जाने का मन कर रहा हे।
खबर लेने आए थे वो कभी,इसी उम्मीद में,
आज फिर बेहाल होने का मन कर रहा है।
संस्कृति बचाने के लिए,हर बड़े शहर को,
गाँव बनाने का मन कर रहा है।
तरक्की बांहें फैलाकर,गले लगाने को बेताब है,
तरक्की की पतंग उड़ाने का मन कर रहा है।
#पिंकू राजपूत
परिचय : मध्यप्रदेश के ग्राम बाजनिया (टिमरनी,जिला हरदा) निवासी पिंकू राजपूत शौक से रचनाकार हैं। इनकी रचनाओं में रिश्तों का चित्रण अधिक नज़र आता है।