उठो पार्थ, गांडीव उठाओ.. शर संधान करो। सम्मुख जो हैं, सिर्फ शत्रु हैं.. कोई सगा नहीं, अपमानित नारीत्व हुआ.. इनको कुछ लगा नहीं, ये आए हैं रण में केवल.. प्राणहरण करने, या तो तुझे मृत्यु देने.. या स्वंय वरण करने, सोचो मत.. ये पतित प्राण हैं, इनके प्राण हरो। सिर […]

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इश्क में तेरे हम, दुनिया को भुला बैठे। अपनी वफा का ताजमहल, खुद ही जला बैठे।। मुकम्मल हो न सका, प्यार का अफसाना। इन्तजार में बैठा तेरे, तेरा ये दीवाना।। तन्हाई में हम कोई, गजल गुनगुना बैठे। इश्क में तेरे हम, दुनिया को भूला बैठे।।           […]

ज़िंदगी की शाम में कुछ, ऐसा अब लगने लगा बेख़ौफ़ होकर जिया जाये डर भीअब डरने लगा ज़िंदगी की शाम में मन ठहरने है लगा . अब विचारों का उफनना शीत जल सा हो गया ज़िंदगी की शाम में …. हो गई ख़तम मनमानियॉं चलती थीं अपनी मर्ज़िया अब सम्हलती […]

संसार अगर एक रंगमंच है, तो हां, मैं उसका एक पात्र.. मुखौटा,चरित्र,किरदार,अभिनय और भूमिका हूँ। बचपन,जवानी,वृद्धावस्था, के पड़ावों से गुजरती जिन्दगी.. के बीच मैं कब पुत्र से पिता, दादा,नाना,मामा और चाचा.. बन जाता हूँ, कुछ पता ही नहीं चलता। पात्रों की जरूरत के हिसाब से, भूमिकाओं को निभाते-निभाते.. मैं अपने […]

अपने मुँह का दिया निवाला है। माँ ने ऐसे ही मुझको पाला है।। जबसे रक्खा क़दम है धरती पर। मेरी माँ ने मुझे सम्भाला है।। जब मैं चलने लगा था थोड़ा-सा। बाप ने गोद में उछाला है।। मेरी माँ जब भी रोने लगती है। प्यार से हर घड़ी सम्भाला है।। […]

समय-समय का फेर है,समय बड़ा बलवान, समय समझ करते रहो,दान मान सम्मान ; यही है बात पते की। समझ चूकी पछताय नर,समय बड़ा बलवान, समय साथ जो जन चले,खिले होंठ मुस्कान.. सुधर जा अब तो प्राणी। समय भूली छल-बल करे,करे अशुभ जो काम, ऐसे ही नर कर रहे,मानवता बदनाम ; […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।