उत्तरायण हो गए हैं सूर्य जब से,शीत कम करने लगीं अपनी हवाएं। छँट रही है धुंध सब वातावरण से,फूल कलियों से हुई लकदक लताएं॥ तेज होती धूप की बढ़ती तपन से,बर्फ की चादर पिघलती जा रही है। शीत से होती शिथिल इस ज़िन्दगी में, अब नई उर्जा नवल गति आ […]

  धूप और धूप ही तो हर तरफ पसर गई। छांव तो बदल ली,छांव जाने किससे डर गई, तीखी धूप लग रही है हाट में-बाजार में। लूटने का चलन देखो सेठ-साहूकार में, छांह की पनाह खोजते गरीबी मर गई। छांव तो बदल ली,ठांव जाने किससे डर गईll लम्बी-चौड़ी बातें करके […]

राजपथों ने दिया भरोसा तोड़ दिया है, पगडंडी लाचार करे भी तो आखिर क्या। ऊजड़ होते गाँव सूखते खलिहानों में, जीवन की उम्मीद ढूँढती बूढ़ी नज़रें कभी मना करती थी उनके गाँवों में जो, दीवाली वो ईद ढूँढती बूढ़ी नज़रें पास नहीं बुधिया चाचा के रुपया-पैसा, ऊपर से बीमार,करे भी […]

चलो अब ख़त्म हम सारी पुरानी बात करते हैं, भुलाकर तल्ख़ियाँ सारी नई शुरुआत करते हैं। बुझाकर नफ़रतों की आग को सब प्यार ही बाँटें, दिलों में हम चलो पैदा वही जज्बात करते हैं॥ जहाँ तम का बसेरा है ज़रा-सी रोशनी बाँटें, उदासी है जहाँ उनको चलो थोड़ी खुशी बाँटें। […]

संवैधानिक मर्यादाएं, तार-तार करते रहते है, शर्मसार जो मानवता को, बार-बार करते रहते हैं। जिनके मन में न्याय व्यवस्था का कोई सम्मान नहीं है, जिनका कोई धर्म नहीं है कोई भी ईमान नही है॥ मानव होकर भी जिनके मन मानवता का वास नहीं है, जिनको मानवता के दुख का दर्दों […]

जीवन के इस हवन कुण्ड में, इच्छाओं की आहुतियाँ दे अहंकार अर्पण करके ही, राह मोक्ष की होती हासिल। पग पथरीले पथ से  घायल, या तूफानों के साए हो हिम्मत नहीं हारते जो जन, आखिर पाते हैं वो मंजिल॥ जीवन के अनवरत सफ़र में, निश्चित आएंगी बाधाएँ दिशाभ्रमित करके हमको […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।