करें भी आखिर क्या…

0 0
Read Time2 Minute, 28 Second
satish
राजपथों ने दिया भरोसा तोड़ दिया है,
पगडंडी लाचार करे भी तो आखिर क्या।
ऊजड़ होते गाँव सूखते खलिहानों में,
जीवन की उम्मीद ढूँढती बूढ़ी नज़रें
कभी मना करती थी उनके गाँवों में जो,
दीवाली वो ईद ढूँढती बूढ़ी नज़रें
पास नहीं बुधिया चाचा के रुपया-पैसा,
ऊपर से बीमार,करे भी तो आखिर क्या…।
उजड़े आँगन टूटे छप्पर टूटे सपने,
कुछ यादें है शेष निशानी बाकी है कुछ
रो-रोकर पथराए दर्द भरे नयनों में,
उम्मीदों का अब भी पानी बाकी है कुछ
बीत रहा है ग्रामीणों का जीवन यूँ ही,
विपदा में लाचार करे भी तो आखिर क्या…।
साथ भोर के नित बढ़ते इन अंधियारों को,
चकाचौंध में रहने वाले क्या समझेंगे
इन अधरों की बूँद-बूँद पानी की तृष्णा,
सुख सागर में बहने वाले क्या समझेंगे
मौन गाँव अपने अधरों को मुखरित करके,
दे उनको विस्तार करे भी तो आखिर क्या…।
जैसे कदली की परतों में केवल परतें,
वैसे सत्ता की बातों में केवल बातें
क्यूँ कर देंगे अंधियारे दिन उन्हें दिखाई,
उनकी चकाचौंध है मावस की भी रातें
भ्रष्ट तंत्र अंधा बहरा है कौन सुनेगा,
करके दीन पुकार करे भी तो आखिर क्या…॥
              #सतीश बंसल
परिचय : सतीश बंसल देहरादून (उत्तराखंड) से हैं। आपकी जन्म तिथि २ सितम्बर १९६८ है।प्रकाशित पुस्तकों में ‘गुनगुनाने लगीं खामोशियाँ (कविता संग्रह)’,’कवि नहीं हूँ मैं(क.सं.)’,’चलो गुनगुनाएं (गीत संग्रह)’ तथा ‘संस्कार के दीप( दोहा संग्रह)’आदि हैं। विभिन्न विधाओं में ७ पुस्तकें प्रकाशन प्रक्रिया में हैं। आपको साहित्य सागर सम्मान २०१६ सहारनपुर तथा रचनाकार सम्मान २०१५ आदि मिले हैं। देहरादून के पंडितवाडी में रहने वाले श्री बंसल की शिक्षा स्नातक है। निजी संस्थान में आप प्रबंधक के रुप में कार्यरत हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

साहित्यकार सुषमा दुबे को 'राष्ट्रीय अभिव्यक्ति गौरव सम्मान'

Wed Jan 10 , 2018
नागदा। इंदौर शहर की लेखिका सुषमा दुबे को नागदा में भव्य कार्यक्रम में ‘राष्ट्रीय अभिव्यक्ति गौरव सम्मान’ से अलंकृत किया गया। ये सम्मान लेखन और अभिनय हेतु संयुक्त रूप से दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री  थावरचंद गेहलोत थे। कार्यक्रम आयोजक सुरेन्द्र मीना ने […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।