हुई लकदक लताएं 

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satish
उत्तरायण हो गए हैं सूर्य जब से,शीत कम करने लगीं अपनी हवाएं।
छँट रही है धुंध सब वातावरण से,फूल कलियों से हुई लकदक लताएं॥
तेज होती धूप की बढ़ती तपन से,बर्फ की चादर पिघलती जा रही है।
शीत से होती शिथिल इस ज़िन्दगी में, अब नई उर्जा नवल गति आ रही है॥
एक मुद्दत बाद कुछ कलियाँ खिलीं है, एक मुद्दत बाद महकी फ़जाएं…।
छँट रही है धुंध सब वातावरण से,फूल कलियों से हुई लकदक लताएं…॥
छोड़कर नीरस सफ़ेदी पर्वतों ने,कर लिया है केसरी परिधान धारण।
केसरी होती दिखी हमको नदी भी,पर्वतों के केसरी प्रतिबिम्ब कारण॥
निर्झरों ने साज से संदेश भेजा,पंछियों को गीत कोई गुनगुनाएं…।
छँट रही है धुंध सब वातावरण से,फूल कलियों से हुई लकदक लताएं…॥
आगमन ऋतुराज का जब हो रहा है,क्यूँ नहीं श्रृंगार हो सारी धरा का।
देखना उत्सव बड़ा ही भव्य होगा,भव्य होगा रूप उस प्यारी धरा का॥
आइए स्वागत करें मिलकर सभी हम, प्रेम के उल्लास के नगमें सुनाएं…।
छँट रही है धुंध सब वातावरण से,फूल कलियों से हुई लकदक लताएं…॥
चाहता हूँ मैं बनूँ ऋतुराज अब के,तुम धरा बन प्रेम की श्रृंगार करना।
मैं करूँ प्रस्ताव अपनी प्रीत का जब,तुम लजाना और फिर स्वीकार करना॥
ज़िन्दगी भर के सफ़र में साथ की हम, ऋतु वसंती की चलो कसमें उठाएं…।
छँट रही है धुंध सब वातावरण से,फूल कलियों से हुई लकदक लताएं…॥
        #सतीश बंसल
परिचय : सतीश बंसल देहरादून (उत्तराखंड) से हैं। आपकी जन्म तिथि २ सितम्बर १९६८ है।प्रकाशित पुस्तकों में ‘गुनगुनाने लगीं खामोशियाँ (कविता संग्रह)’,’कवि नहीं हूँ मैं(क.सं.)’,’चलो गुनगुनाएं (गीत संग्रह)’ तथा ‘संस्कार के दीप( दोहा संग्रह)’आदि हैं। विभिन्न विधाओं में ७ पुस्तकें प्रकाशन प्रक्रिया में हैं। आपको साहित्य सागर सम्मान २०१६ सहारनपुर तथा रचनाकार सम्मान २०१५ आदि मिले हैं। देहरादून के पंडितवाडी में रहने वाले श्री बंसल की शिक्षा स्नातक है। निजी संस्थान में आप प्रबंधक के रुप में कार्यरत हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।