१ दैवीय है — आपका स्वरूप २पूजनीय है—आपके चरण ३ करणीय है–आपकी पूजा ४ लेखनीय है -आपका चरित्र ५ माननीय है -आपकी मृदुता ६ मोहनीय है—आपकी ममता ७ दर्शनीय है– आपकी छवि ८ पठनीय है —–आपके लेख ९ माननीय है-आपका पराक्रम १० श्रवणीय है-आपके उपदेश ११वर्धनीय है –आपकी प्रसिद्धि १२पालनीय […]

बिगुल बज गया राष्ट्रभाषा का। प्रत्येक बालक बालिका जगी।। इंदौर जागा राजस्थान जागा। हिंदी संगणक योद्धा भी जगा।। हिन्दी भाषा माता है सबकी। मातृभाषा डॉट कॉम वेब की।। अन्तराशब्दशक्ति प्रकल्प की। हिन्दी ग्राम समूह वटवृक्ष की।। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के । अर्पण,प्रीति का एक ही नारा है।। राजभाषा को राष्ट्रभाषा […]

जिंदगी यादों की कहानी है। जिंदगी मौत की मेहरबानी है। जिंदगी एक अनबुझ पहेली है। जिंदगी दो दोस्तों का मिलन है। जिंदगी चार आश्रमों का तपोवन है। जिंदगी पंचतत्वों का मिलन है। जिंदगी छह ऋतुओं का मौसम है। जिंदगी सात सुरो का सरगम है। जिंदगी नौ रत्नों का बहुमूल्य हार  […]

जन्म दिवस पर गुरू माँ को वंदामि हमारा जन्मदिवस आज मनाएँ प्यारी माँ तुम्हारा जिनशासन का प्यारा फूल सबसे सुंदर न्यारा हम सबको लगता है गुरू माँ का चेहरा प्यारा खुशियों भरा हर पल हो यही अरमान हमारा जन्म दिवस—————- श्री निर्मल सागर जी के चरणों में शीश झुकाया पिच्छी […]

 जयपुर| विशुद्ध स्वर्णिम संयम दीक्षा महोत्सव राष्ट्रीय कार्यकारिणी के प्रचार प्रमुख व  मातृभाषा उन्नयन संस्थान राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष श्री रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’ जयपुर  को  साहित्यिक क्षेत्र में उत्कृष्ट सृजन व समाज सेवा में उल्लेखनीय योगदान हेतु हरियाणा की साहित्यिक संस्था विलक्षणा एक सार्थक पहल समिति (रजि 02314) द्वारा […]

सत्ताईस नवंबर शुभ दिन आया। उन्नीस सौ सात  साल कहलाया।। जन्म वसुधा पर बालक ने पाया। कायस्थ श्रीवास्तव कुल हर्षाया।। पिता प्रताप नारायणजी का प्यारा। माँ सरस्वती देवी का राज दुलारा। इलाहाबाद नगर, प्रतापगढ़ प्यारा। धन्य वसुंधरा बाबू पट्टी ग्राम सारा।। पाणिग्रहण का मंगलमय दिन आया। श्यामादेवी,तेजी सूरी से ब्याह […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।