जब सोलह की रही होऊंगी, आईना बड़े चाव से देखती थी.. मगर आज जब बरसों बाद, अनायास आईने में खुद को देखा नजरें ठिठकी और विस्मित हुई, क्या मैं ही थी या कोई और, कितनी बदली हुई रंगत। मुस्कान के कुछ सूखे, अवशेष चिपकाए हुए.. आँखों के कोरों पर सपनों […]

कभी लोगों ने तड़पाया, कभी रोगों ने तड़पाया, कभी धनवानों ने रौंदा, कभी नेता ने धमकाया। कभी दिल में उठी सच बात को उसने नहीं रोका, इन्हीं सच्चाइयों ने तो उसे बढ़ना ही सिखलाया। वो बढ़ने फ़िर लगा आगे, किसी दीवाने के जैसे, ये दुनिया छोड़िए अपनों से भी पागल […]

पत्थरों की गुफाओं में कभी, रहते थे हम, निर्वस्त्र और नग्न कभी, रहते थे हम। पत्थरों के औजारों से कभी , आखेट हमने ही किया था। कच्चा माँस और रक्त कभी, हमने ही तो पिया था। जब हम तरक्कियों के दौर में, कांक्रीट के बने घरों में रहते हैं, पशुओं […]

हम अबोध हम नादान, प्रभु तुम ध्यान रखना। असत्य के मार्ग से हटे सत्य पर विजय करें, हर घड़ी ये उपकार करना। हम अबोध हम नादान, प्रभु तुम ध्यान रखना। . साजिशों से बचे कर्तव्य अपना करें, निज मार्ग तुम प्रशस्त करना। हम अबोध हम नादान, प्रभु तुम ध्यान रखना। […]

भगवान से भी बढ़कर एक चीज देखता हूँ, उठकर सुबह को माँ की तस्वीर देखता हूँ। होता है दर्द मुझको लगता हूँ मैं छिपाने, आँखों में मगर माँ की मैं नीर देखता हूँ। कुछ ऐसे भी जिनसे दूर साया माँ का, ऐसे अभागों की तकदीर देखता हूँ। जो कमी मुझे […]

कौन कहता है तुम्हारी बज़्म में अच्छी ग़ज़ल, प्यार में डूबी हुई सीधी सरल सच्ची ग़ज़ल। आज तक समझे न यारों हम रदीफ़ो क़ाफ़िया, दर्द उमड़ा जब जिगर में आँख से छलकी ग़ज़ल। काम लोगों का था कसना, फब्तियां कसते रहे हम नए अंदाज में कहते रहे अपनी ग़ज़ल। हम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।