वतन

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vijaykant
आज  वतन है  खतरे में,
वीरों निकलो सीना तान।
देखो पाक-नापाक हरकत,
छद्म युद्ध दिया है  ठान॥
चाहे पठानकोट की हो घटना,
चाहे मुम्बई  की आतंकी दौर।
नित शहीद हो रहे सीमा पर,
नेतागण करते भाषण दौर॥
विवश ‘अजा’-सी मरते देख,
कर पाते न शाश्वत प्रतिकार।
जिससे फिर देखने का साहस,
रिपु करे न फिर बारम्बार॥
विष द्रोह का लेकर जन्मा,
वह कब अपना  हो सकता ?
साधु बिच्छू को रहे बचाते,
वह हर बार उन्हें  डसता॥
पाकिस्तान बनाता हरदम,
सरहद पर आतंक व्यूह।
हाफ़िज सईद है सरगना,
छुपा बैठा है घर में मुँह॥
पाकिस्तान की सुरक्षा में है,
दिया झूठ हिरासत का नाम।
सुरक्षित रखा ओसामा लादेन जैसे,
लेता रहा अमेरिकी  अनुदान॥
गद्दारों की यहाँ कमी नहीं है,
हैं कई कन्हैया  भरे  हुए।
पाकिस्तान की जय करते,
हैं यहाँ मौज से पड़े हुए॥
सीमा पर हैं सैनिक  मरते,
पर सियासत करती दिल्ली।
वाम-विपक्ष जहाँ मिलकर,
उड़ाते जमकर खिल्ली॥
बुद्धिजीवी स्वार्थ-विविर में,
ऐसे हैं  जमकर  सोए।
मानो देश नहीं इनका,
होने दो जो कुछ होए॥
ऐसे ही घुस आए विदेशी,
अब्दाली,तैमूर,अंग्रेज़ यहाँ।
अनमनस्क ही रहा युवा तब,
जाएगा यह देश  कहाँ ?
आज वतन पर खतरा है भाई,
सब सावधान हो जाओ तुम।
खूब गिराओ अभी पसीना,
ताकि न गिरे भाई का खून॥
                                                                                    #विजयकान्त द्विवेदी

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6 thoughts on “वतन

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दादा ।।

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