ख़ता इतनी नहीं है देखिए जी। हमारी बेबसी है देखिए जी। तुम्हारे सामने बैठे हुए हैं, तुम्हारी बन्दगी है देखिए जी। तुम्हें देखे बिना बुझती नही है, बड़ी ये तिश्नगी है देखिए जी। तुम्हारा यूँ हमारे साथ होना, हमारी जिंदगी है देखिए जी। सभी जितनी रही हमसे तुम्हारी, शिक़ायत लाज़मी […]
कविता आँखें खोलती,कविता लड़ती जंग कविता लाती चेतना,कविता भरती उमंग। कविता दिल में उतरती,कविता करती मार कविता जोश उभारती,कविता की तलवार। शस्त्र सिर्फ कर सकते,तन पर ही प्रहार अंतर्मन झकझोरती,ये कविता की धार। कविता जब लगाती है,अपनी तेज हुंकार अर्जुन भी उठ खड़ा हो,करता है ललकार। याद दिला इतिहास का,बढ़ाती […]