जीवन में प्यारी निंदिया , श्रृंगार में न्यारी बिंदिया । अंखियों में छाए निंदिया , माथे पे साजे बिंदियां । दोनों करती खूब कमाल , करती दोनों खूब धमाल। दोनों बड़ी हैं बेमिसाल, खूबसूरती से मालामाल। अखियां सूनी निंदिया बिन, श्रृंगार है सूना बिंदिया बिन। जब साथ ना दे तन […]

ओ रे मनवा तू काहे को रोए, ये दुनियां है बेगानी। ना है जग में तेरा कोई , बन जा तू मीरा दीवानी। प्रभु चरणों में वार दे जीवन, ये दुनियां है आनी जानी। मतलब के हैं रिश्ते नाते , मत कर तू नादानी। सीता जैसी पतिव्रता संग, जग ने […]

कर ले सब्र तू मेरे यारा , वक्त तेरा भी आएगा। कड़वे सब्र का सुन यारा, मीठा फल तू पाएगा। भटके हुए को राह दिखाना, टूटे हुए को सब्र बंधाना। बेबस लाचार गरीबों की, मदद को आगे हाथ बढ़ाना। चीर कलेजा पर्वत का तू, निर्मल जलधार बहाना। अम्बर का तू […]

बारिश बूॅऺद- सा, फैल रहा है… परेशां मजदूरों के गीत, सुर में है; रोटी की आवाज़ और रोते-बिलखते आदिम स्वर। फटे पैरों की बिवाई सा, वस्त्र भी हैं तार-तार, कंठ हैं सूखे;आॅऺखों में पानी की तरलता, भींगा मन; तन चट्टानों सा जलता, वेदना है जलती,पथ भी है कराहता। काली रात […]

‘सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन’। आजकल के व्यस्त जीवन में एक ऐसे यात्रा की बहुत जरूरत है जो यादगार बने। घूमना और दुनिया देखना कौन नहीं चाहता, काम की थकान के बीच में किसी खूबसूरत जगह की यात्रा, एक नयी ऊर्जा देती है। छुट्टियों का मतलब ही होता है […]

19वीं शताब्दी में जब अंग्रेजों का भारत में बहुतायत आगमन हुआ तो उन्हें पता चला कि असम के लोग काले रंग का एक पेय पदार्थ पीते हैं जो पत्तियों से बनता है। तब ये चाय के बीज व पौधों को लेकर कोलकाता में शोध किया गया। ब्रिटिश सरकार ने असम- […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।