सब्र

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कर ले सब्र तू मेरे यारा ,
वक्त तेरा भी आएगा।
कड़वे सब्र का सुन यारा,
मीठा फल तू पाएगा।

भटके हुए को राह दिखाना,
टूटे हुए को सब्र बंधाना।
बेबस लाचार गरीबों की,
मदद को आगे हाथ बढ़ाना।

चीर कलेजा पर्वत का तू,
निर्मल जलधार बहाना।
अम्बर का तू चीर के सीना,
पवन वेग से बतलाना।

बिना तराशे हीरा भी ,
कहां कभी निखरता है,
बिना तपे सोना भी ,
कहां कभी चमकता है।

कछुए से पूछो मेरे यारा,
महत्व सब्र का क्या होता ।
मंजिल पर हो जब नजर,
कौन हमें भटका सकता ।

पापी से नहीं सुन यारा,
घृणा पाप से करना तू ।
लालच हिंसा दुर्व्यसनों से,
यारा बच के रहना तू।

अर्जुन जैसा तू साध निशाना,
करके खुद पर विश्वास जरा।
मिलेंगी तुझको मंजिल यारा,
कर ले प्रभु पर विश्वास जरा।

ढाई अक्षर के ‘ सब्र ‘ शब्द ,
जीवन का सार बतलाता है।
हर मुश्किल से लड़ने की,
हमको हिम्मत दे जाता है।

जब जब टूटा है बांध सब्र का,
तब तब सैलाब आया है।
बड़े बड़े शूरवीरों का अहम,
मिट्टी में मिलाया है।

सब्र करे निर्माण तो ,
सब्र विनाश भी करता है।
सब्र पर टिकी है धरती माता,
तू याद क्यों नहीं रखता है

सपना सिंह
औरैया(उत्तरप्रदेश)

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