आए वतन पे खतरा वो जान भी लगा दो, ये मुल्क के जवानों जंग का ज़ूनून भर लो। इसी जंग के कोने में कहीं जन्नत नजर आएगी, जंग आ ही जाए सर पे तो जुल्म भी तू कर ले। आजाद मुल्क है तो आजाद हम रहेंगे, कुर्बानियों की खातिर,कफन […]

जीवन में मुझे कुछ शब्दों से काफी नारजगी मिली,जो कभी पूरा हुआ ही नहीं,भले उसे किसी तरह उपयोग किया जाए। अगर हुआ भी तो सिर्फ भाग्यवालों का ही। जैसे-रिश्ता,ज़िसमें कभी-न-कभी मनमुटाव आ ही जाता है। कैसा भी रिश्ता हो-माँ से बेटे का,पिता से बेटे का, चाचा से भतीजा से,भाई से […]

बीत गया जो पल उसे भूल जाते हैं, आने वाले कल का जश्न मनाते हैं। अरमान है दिल में पूड़ी और मिठाई का, पर सूखी रोटी पर संतोष किए जाते हैं। मिले खुशबू बेली और चमेली की, पर रजनीगंधा की ओर बढ़े  जाते हैं। हम जानते हैं प्रेम एक मर्ज […]

  कैसे कटेंगें अब पहाड़ से ये दिन, जीवन की टूक मन की भूख, तन की भूख। कहाँ गई कोयल की कूक! दिन हुए पलछिन,             उपहार से ये दिन… कैसे कटेंगें अब पहाड़ से ये दिन। चरण अविराम के, रुक गए कैसे राम के! […]

उस लड़की को देखकर, उम्मीद नहीं बनती उम्मीदों की याद,                     हो जाती है। वह सुबह से शाम तक पुराने अशोक के नीचे बैठती, वह प्रतीक्षा है बीमार उदारता की, उस लड़की की। उस लड़की की क़ोख में बिस्तर से बच्चे […]

अब मेरा भी आसमान नीला होगा, ऊगते सूरज की तरह लाल तमतमाया नहीं होगा, मैं किसी भय से भयभीत नहीं हूं साँझ की ललछौह पीलापन भी अब न होगा। मुझे प्यार नहीं हुआ, मैं नहीं देखना चाहता किसी की माँग का सिन्दूर, मैं नहीं देखना चाहता किसी की लाली चुनर, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।