रोशनी 

2
0 0
Read Time3 Minute, 15 Second

aashutosh mishra
हां रोशनी वह शब्द है। यह एक उर्दू शब्द है। जिसे हिन्दी में प्रकाश आंग्ल में लाइट तथा स्थानीय भाषाओं में विभिन्न नामों से जाना जाता है। अब नाम और भाषा से हमें का लेना खैर। रोशनी का हमारे जीवन मा बहुत बड़ा महत्व है। एक कहावत भी है रोशनी नही तो कुछ नही। अब रही बात किस चीज की। हां भाई रोशनी भी तो कई प्रकार की होती हैं एक से बढ़कर एक जैसे रेलवे स्टेशन बस टैंड चौराहे तथा  रास्ते में बैठकर ठरकी लोग कहते हैं। एक से बढ़कर एक हैं। चाहे उनके आंख की रोशनी गायब हो। यह भी हो सकता है कि जिसे वह अपनी कमजोर रोशनी के संग देख रहा है। उससे बड़ी रोशनी उसके घर में किसी और की रोशनी रहती हो खैर। बात हम रोशनी के प्रकार की कर रहे थे। एक रोशनी वह होती है जो आंखो में होती है यदि यह रोशनी खत्म तो समझ लीजिए बहुत कुछ खत्म। इस रोशनी के खत्म होने के पश्चात हम कोई भी रोशनी नही देख सकते। वैसे एक जुगाड है आभास कर सकते हैं। “”आशा”” हां आशा यह भी एक प्रकार की रौशनी है जो हमें बहुत आगे तक ले जाती है। यदि यह रोशनी जरा सी डगमगाई तो जीवन की रोशनी खत्म। एक रोशनी और भी है। टार्च वाली इस रोशनी का इतिहास बड़ा पुराना है। पहले मशाल वसाल जो थी उसीने टार्च का रूप ले लिया। पूर्णतया उसी प्रकार जैसे कोई रोशनी विहीन व्यक्ति सेव सूव कराकर सुन्दर बनने की कोशिश करता है परन्तु कब उसके सेल खत्म हो जाएंगे पता नही। देखने में मिलता है लगभग प्रत्येक जगह  । मूबाइल में भी रोशनी होती है। यह रोशनी बिलकुल उस प्रकार की होती है जैसे कोई लड़की मेकअप करके सुन्दर तो बन जाती है और अपने आप पर बहुत घमंड करने लगती है। परन्तु  उसे पता होता है कि यह मेकअप किस हालात में और कब तक चलता है। जब तक वह उतरने वाला होता है। उससे पहले वह पचास गोलगप्पे ठूंस कर घर वापस आ जाती है। उसी प्रकार फोन चार्जचार्जर की ओर भागता है। एक रोशनी और होती है जो व्यक्ति को आशु ही सीमा तक पहुंचाती है। इस रोशनी को बहुत कम लोगों को इंतजार होता है। अक्सर लोग बड़ी बड़ी लाइटों की रोशनी में ही पसंद करते हैं खैर। जो भी हो रोशनी हमारे जीवन में अति आवश्यक है। इसे बचाकर रखना चाहिए। फिर वह चाहे मुख, टार्च, मोबाइल, आशा प्रतीक्षा, नेत्र आदि चाहे जिसकी हो।।

#आशुतोष मिश्र 
तीरथ सकतपुर 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

2 thoughts on “रोशनी 

  1. बेहतरीन,,,,,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

"हौंसला"

Fri Jun 8 , 2018
ख़्वाबों को दफनाकर क्योंकि, कितने अंजाम अभी बाकी हैं। पाकर रहेंगे सुदूर मंज़िल को,  रूह में हौंसला ए जान, अभी बाकी है।। चढ़ रही है पेड़ पर बेफिक्र गिलहरी, ना जाने कितनी उड़ान अभी बाकी है। तुम डरा कर तोड़ रहे थे मुझको, कर दूंगा साबित, प्रमाण अभी बाकी है।। […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।