हिंदी तर हिंदी भाषी

0 0
Read Time1 Minute, 45 Second

cropped-cropped-finaltry002-1.png

मैं हूँ. तमिलनाडु  के हिंदी प्रचारक  .

लिख रहा हूँ  ,अपनी हिंदी,
अपनी शैली, अपने विचार.
 प्रेम करता हूँ, अपनी मातृ भूमि से,
अपनी देशी  भाषाओं  से
सनातन धर्म के भक्ति मार्ग से.
 आदी काल से आजकल की राजनीति
एकता लाने के प्रयत्न में. पर
स्वार्थी  मजहबी  ,
प्रेम भक्ति एकता में बाधक
विदेशी आये शासक बने
 जनता में सहन शीलता
मंदिर तोड़, मसजिद बनाये
अंग्रेज़ आये  अपनी भाषा
छोड चले, हम अपनी भाषा भूल चले.
आजादी तो मिली, आधी रात को,
अंधकार में, अंग्रेज़ी  की उजाला का
अज्ञान  ज्योति जलाकर,
शासक जो नेहरू बने
अंग्रेजी  के पारंगत.
मंत्री मंडल में सब अंग्रेजी  पटु.
भूल गये मातृभाषा  और संपर्क भाषा.
आज हर जगह जनता चाहती
अंग्रेज़ी  माध्यम  की शिक्षा.
मातृभाषा  से नफरत.
 बगैर अंग्रेज़ी  के,
जीविकोपार्जन  असंभव.
  यदि मातृभाषा  को
आय और, नौ करी का साधन  बनाने
सत्तर साल की आजादी
अंग्रेज़ी  ही प्रधान.
आरक्षण  नीति योग्य लोगों को
विदेशी भगा देती.
फिर भी देश का विकास.
शिक्षा  में अनुशासन  की कमी.
फिर भी अनुशासित लोग.
भ्रष्टाचार  शिखर पर
फिर भी न्याय की झलक.
यह दिव्य भारत की दिव्य प्रभाव.
जानना-पहचानना,समझना मुश्किल.
  #आनंदकृष्णन सेतुरमण

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जिन्दगी

Fri Jul 13 , 2018
जिन्दगी कोयले पर जलते भुट्टे सी है… जितनी मद्धम आँच मे पकेगी उतना ही स्वाद देती है… कुछ विश्वासघात का  नमक और कुछ चालाकियों का नींबू मल दो तो बात और  लजीज होगी.. 2. कविता हृदय में किताबों  मे लगे दीमक सी होती है। जो तब तक कुतरती है जब […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।