बदले हमारे नजारे

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कभी कभी सोचता हूँ,
मैं मन में विचरता हूँ।
ये हम कहाँ जा रहे हैं,
क्यों?
हम खुद को भुला रहे हैं।
क्योंकि!
आज भी धरती वही है,
आज भी सूरज वही है,
आज भी वही तारे हैं,
आज भी वही सितारे हैं,
केवल बदले हमारे नजारे हैं,
केवल बदले हमारे नजारे हैं।
जहाँ बचपन जिया था हमने,
जहाँ सपने बुना था हमने,
उस जगह!
आज भी वही सड़के हैं,
आज भी वही गलियाँ हैं,
वही बरगद के पेड़ हैं,
वही खेत के मेड़ हैं,
वही मकान सारे हैं,
वही दुकान सारे हैं,
केवल बदले हमारे नजारे हैं,
केवल बदले हमारे नजारे हैं।
आज भी वही सब खेत है,
आज भी वही खलिहान है,
आज भी वही आँगन है,
आज भी वही दालान है,
आज भी बागों के वही नजारे हैं,
आज भी गाँवों में सब हमारे हैं,
केवल बदले हमारे नजारे हैं,
केवल बदले हमारे नजारे हैं।
आज भी वही छत है,
आज भी वही बिस्तर है,
आज भी वही मन्दिर है,
आज भी वही ईश्वर हैं,
वही आसमा के नजारे हैं,
आज भी वही सब हमारे हैं,
केवल बदले हमारे नजारे हैं,
केवल बदले हमारे नजारे हैं।।
                       #प्रियंका

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