बोतल का जिन्न

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niraj tyagi
रमेश बचपन मे जब चिराग के जिन्न की कहानियां पढ़ता था तब ऐसा लगता था कि काश ये चिराग कही से मिल जाये तो मजा आ जाये।
बचपन मे सपने भी ऐसे ही आते थे जैसे काया कल्प करने वाला जिन्न बस जीवन मे मिलने ही वाला है।पर सपने कहाँ पूरे होते है।
रमेश को ये जिन्न मिला जरूर लेकिन एक बोतल के रूप में।अपनी परिश्थिति से लड़ता हुआ रमेश कम पढ़ा लिखा होने के कारण एक दवाई की कंपनी मैं एक मजदूर का काम करता था।
अपने हालात से परेशान होकर उसने जॉब छोड़ने का मन बनाया और धीरे धीरे उसने दवाइयों की सप्लाई का काम शुरू किया।
उसकी मेहनत का सिलसिला लगातार चलता रहा।चंद वर्षो की मेहनत के बाद अपनी साइकिल पर दवाई की बोतलों की सप्लाई शुरू करने वाला रमेश आज काफी सम्पति का मालिक हो गया है ।
किसी के जीवन का कुछ पता नही सचमुच रमेश के लिए तो दवाई की बोतल से निकली कमाई लगभग एक जिन्न जैसी ही थी।जिस जिन्न ने उसकी काया कल्प कर दी।
#नीरज त्यागी 

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