निरंतर बदलाव प्रकृति का नियम है। समय बदलता है, संसाधन बदलते हैं । हम भी बदलते हैं । वर्तमान समय आधुनिक तकनीक के प्रयोग का है । हर क्षेत्र में नई – नई तकनीक अपनाकर बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा रहे हैं ।
इंटरनेट के आगमन से वे सब जानकारियां हमारे ” टच ” में आ गई हैं जिसकी कल्पना भी दुरूह थी । अब ये जानकारियां हमारे बनने – बिगड़ने का सबब भी हैं और इनके हर अच्छे – बुरे परिणाम के लिए हम खुद ही जिम्मेदार भी हैं । इसके लिए किसी एक पक्ष को दोषी ठहराना उचित नही है।
हर सिक्के के दो पहलू होते ही हैं । दिन के साथ जिस तरह रात जुडी हुई है । वरदान के साथ अभिशाप जुड़ा हुआ है उसी तरह स्वस्थ मानसिकता के साथ विकृत मानसिकता भी जुड़ी हुई है। किस मानसिकता को हम सहेजें । यह हमारा निर्णय होता है। यही निर्णय – सोशल मीडिया के जन मानस को सर्वाधिक प्रभावित करता है।
आज बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के हाथ में नई तकनीक मौजूद है । किसी के लिए यह – ज्ञान प्राप्ति का साधन है तो कहीं मनोरंजन , व्यावसायिक गतिविधि या सृजन और संचार के जरिये दूर -सुदूर बैठे परिजनों से नजदीकी के एहसास का भी माध्यम है। अलावा इसके, विकृतियां भी भरपूर हैं इसमें जो अंततः दुष्परिणाम ही देती है। बस इसी से बचना भी है और बच्चों को बचाना भी है । इस प्लेटफार्म पर जितनी सतर्कता बरतेंगे उतना ही सहज वातावरण पाएंगे हम।
इसमें कोई दो राय नहीं कि अब अनिवार्यता बन चुका है यह माध्यम हम सबके जीवन में। दिल खोलकर इसका उपयोग जरूर करें मगर दिल – दिमाग सम्हालकर । ऐसा किया तो निश्चित ही यह आपके अनुकूल होगा।
#देवेंन्द्र सोनी, इटारसी।
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