बलात्कार का जश्न

1 0
Read Time2 Minute, 29 Second

उत्तर प्रदेश के एक गाँव में बलात्कार की घटना घटित होने की ख़बर फैलते ही सोशल मीडिया पर बलात्कार से संबंधित लेखों, कहानियों एवं कविताओं की बाढ़-सी आ गई। प्रिया दीक्षित एक स्वघोषित लेखिका थी। जब किसी भी राष्ट्रीय समाचार पत्र अथवा पत्रिका में उसकी रचना प्रकाशित नहीं हो सकी तो उसने फ़ेसबुक पर लिखना शुरु कर दिया। प्रिया दीक्षित ने सोचा कि अभी अच्छा समय है जब मैं बलात्कार पर लिखकर लोगों की नज़रों में आ सकती हूँ।
‘ना आना भारत देश मेरी लाडो’ शीर्षक से प्रिया दीक्षित ने एक कहानी लिख डाली और अपने एक परिचित जो कि एक फ़ेसबुक पेज के एडमिन थे उनको प्रेषित कर दिया। कहानी में अनेक त्रुटियाँ थीं परंतु एडमिन महोदय को साहित्य की बारीकियों का ज्ञान नहीं था; इसलिए कहानी में व्याप्त त्रुटियाँ उनकी समझ से परे थीं। कहानी पढ़ने के तुरंत बाद एडमिन महोदय ने अपने फ़ेसबुक पेज पर उस कहानी को पोस्ट कर दिया। अगले दिन प्रिया ने देखा कि फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट की गई उसकी कहानी पर पच्चीस लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ प्रदर्शित की थीं। प्रिया दीक्षित को अपनी किसी भी कहानी पर इतनी अधिक प्रतिक्रियाएँ पहली बार प्राप्त हुई थीं। इस वज़ह से प्रिया बहुत खुश थी। उसने एडमिन महोदय को फोन कर कहानी पोस्ट करने के लिए आभार जताया एवं धन्यवाद दिया।
रात में प्रिया ने अपने पति को उनकी पसंद का खाना बनाकर खिलाया और अपनी खुशी का राज़ भी बताया। कुछ देर बाद प्रिया दीक्षित अपने पति को आगोश में लेकर बिस्तर पर लेट गई।
उधर बलात्कार पीड़िता ने अस्पताल में तड़पते हुए अपना दम तोड़ दिया।

आलोक कौशिक
बेगूसराय(बिहार)

matruadmin

Next Post

एक एक पल

Tue Oct 6 , 2020
परमात्मा की याद करने से आत्मा को मिल जाता है चैन मन में व्याकुलता नही रहती सतयुगी दुनिया देखते नैन विदेही होकर नज़ारा देखा विकारों का होता दिवाला देखा कलियुग अवसान को जाते देखा आत्मा को पवित्र होते देखा परमात्मा से मिलन होते देखा सृष्टि को परिवर्तित होते देखा संगम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।