प्रेम का विराट रुप श्रद्धा

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meena godare

               प्रेम ईश्वरीय सत्ता द्वारा प्रदत्त वह सोपान है जिस पर सृष्टि की नींव खड़ी है भारतीय संस्कृति में इसे सर्वोपरि स्थान दिया गया है इस भावना के वशीकरण से बड़े से बड़ा कार्य आसानी से हल हो जाता है इसका अभाव विध्वंस को न्योता देता है भौतिक सुख साधन संपदा सब इस एक एहसास के आगे बेमानी हैं इस उदात्त भावना का बीज परिवार में रोपित होता है जिसका विस्तृत रूप वट वृक्ष बन समाज देश व विश्वको छाया देता है ,प्रेम से ही कल्याण व उन्नति की परिकल्पना की जा सकती है।
प्रेम के कई रुप हो सकते हैं किंतु उसके सभी रूपों में समर्पण समाहित  है पति पत्नी के  प्रेम का रुप पूर्णत: त्याग विश्वास और समर्पण है । वैवाहिक जीवन में टकराहट के बाद पुनः एक होना एक दूसरे की व्यथा पीड़ा सुख-दुख में एकाकार होना जीवन भर  परस्पर सहृदयता से  साथ निभाना कोई मजबूरी नहीं हो सकती। प्रेम अपने स्वभाव  से एक दूसरे को आकर्षित करता रहता है।
समय के  निरंतर चलते चक्र में बच्चे ब्याहे जाते हैं नाती-पोते होते हैं प्रेम यथावत स्थिर रहता है ,जीवन के आखिरी पड़ाव पर गिले-शिकवे समाप्त हो जाते हैं दुनिया असार लगने लगती है पर प्रेम घटने की बाजाए और अधिक बढ़ने लगता है इस अवस्था में वह श्रद्धा को वरण करता है  सच्चे प्यार की ताकत को नकारा नहीं जा सकता आज जब भौतकता और स्वार्थ लोलुपता मानव को दानव बना रही है   ऐसे में प्यार के दो पल  इंसान  को पुनर्जीवित करने और आत्मविश्वास बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं  अभिव्यक्ति से परे यह तो वह एहसास है जिसे युगों से बयॉ किया जा रहा है किंतु परिभाषित न हो सका

(२००१मे प्रकाशित मेरी पुस्तक गुलदस्ता काव्य संग्रह से )

            #मीना गोदरे 

परिचय : स्थाई रुप से इंदौर में निवासरत मीना गोदरे लेखन में लम्बे समय से ‘अवनि’ उपनाम से सक्रिय हैं। आपकी जन्मतिथि-११-अक्टूबर १९५६ एवं जन्म स्थान-सागर (म.प्र.) है। शिक्षा-एम.ए.(अर्थशास्त्र),संस्कृत इन डिप्लोमा एवं एनसीसी(क्रेडिट कोर्स)है। आपने धार्मिक शिक्षा में प्रथम भाग से रत्नकरंड श्रावकाचार एवं मोक्ष मार्ग तक की विधिवत परीक्षाएं उत्तीर्ण की है। अन्य शास्त्रों का भी अध्ययन किया है।कार्यक्षेत्र-इंदौर शहर ही है। सामाजिक क्षेत्र में आप रोटरी क्लब (सागर) सहित अ.भा. दिगंबर जैन महिला परिषद और सद्भावना महिला मंडल से जुड़ी रही हैं तो वर्तमान में भी प्रांतीय पदाधिकारी हैं। कुछ प्रकाशन पत्रिकाओं में सहयोगी के रुप में भी जुड़ी हुई हैं। आपकी विधा-गीत, गज़ल,कविता,कहानी,लेख, निबंध,लघुकथा और व्यंग्य है। आप ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं। प्रकाशन में आपके नाम भक्ति गीत संग्रह-आस्था के पुंज,काव्य संग्रह ‘समुद्र के सीप’ सहित दो ग़ज़ल संग्रह,दो कहानी संग्रह एक काव्य संग्रह,दोहावली और निबंध संग्रह आदि है। कई पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपकॊ सम्मान में शब्द शिल्पी सम्मान,भाषा सम्मान,हिंदी साहित्य सम्मान,भारत की सर्वश्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, काव्य श्री सम्मान सहित हिंदी सेवा सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान आदि मिले हैं।आकाशवाणी(सागर,छतरपुर व इंदौर)से १८ वर्षों से रचनाओं का प्रसारण हो रहा है तो दूरदर्शन(भोपाल)पर भी काव्य पाठ किया है। आपको कई सामाजिक संस्थाओं में २५ वर्ष से सभी पदों पर कार्यरत रहते हुए सर्वश्रेष्ठ अध्यक्ष सहित अन्य पुरस्कार एवं कनाडा से बेस्ट एम्यूनाइजेशन का भी पुरस्कार मिला है। आप ड्रेस डिजायनिंग के साथ ही हेन्डीक्राफ्ट आदि में भी कुशल हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-प्रेरणा देना,सामाजिक विघटन- रुढ़ियों को दूर करना, सकारात्मक विचारधारा द्वारा जीवन और विकास को नई दिशा देना तथा देश व समाजहित में योगदान देना है।

Arpan Jain

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