मोबाईल जी!आज होली हैक्या?

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आज सुबह मोबाईल से लगातार मेसेज की ट्रीन-ट्रीन आने लगी तो अलार्म से पहले ही नींद खुल गई। पता चला आज तो होली का त्यौहार है।
इस भागती-दौडती जिन्दगी में मोबाईल और टी.वी से ही तो सब पता चलता है।अखबार आ चुका था ।उठाते ही मेरे हाथ रंगीन हो गए।अखबार के सारे पृष्ठ रंगीन जो थे।
तभी पत्नि जी ने टी.वी. आँन किया ।सामने स्क्रीन पर रंगो की बोछार उभर आई- ‘हैप्पी होली”पत्नि जी बोली।
मैने मोबाईल हाथ में लिया स्क्रीन आँन होते ही शुभकामना संदेशों की बहार आ गई।सो मैने भी सारे मेसेज फारवर्ड करते हुए बिस्तर पर बैठे-बैठे ही होली के रंगो का आनंद ले लिया।
टी.वी पर होली के गीत व रंगा-रंग कार्यक्रम आ रहे थे।कुछ टी.वी चेनल शहर के मुख्य स्थानों की होली के पुराने दृश्य दिखा रहे थे।मैं बिस्तर पर बैठे-बैठे ही सिहर गया!इतना किचड और लीपापोती ! ओह!यहाँ तो कालिख ही पुत गई।सारे कपडे रंगो से तरबतर होकर बिजली के तारो पर टंगे थे।सडकों पर बिखरे रंगीन पानी को देखकर मैने बिस्तर पर अपने पैर सिकुड लिए। बाप रे ये चाईना के केमीकल वाले रंग और करोना वायरस !मैने पत्नि जी को आवाज लगाकर तुरंत चाय के साथ एंटी एलर्जी की दवाई और बाबा रामदेव का जडीबुटी वाला काडा पी लिया।
आज छुट्टी का दिन है,और घर से बाहर निकलने का सवाल ही नहीं उठता सोचा चलो मोबाईल के सारे पेंडिग मेसेज पढ लिए जाए।लेकिन मोबाईल आँन करते ही फिर से घडाघड मेसेज आने लगे मिठाई के साथ रंगबिरंगी गुझियाँ ,रंगीन शर्बत ,ठंडाई और भी न जाने क्या-क्या।
तब तक पत्नि जी के दिमाग की बत्ती जल चुकी थी ।फरमान आ चुका था हलवाई की दुकान से मिठाई और मावा लाने का।
बाहर निकलने के भय से मेरी रूह काँप गई।बहानों की लिस्ट के साथ मैने एक-एक कर पत्नी जी को कन्वैस करने की कोशिश की ।सबसे पहले मैने मोबाईल को ही कोसना शुरु किया कि ये मोबाईल छोटे-छोटे त्योहारों पर भी परम्परा और संस्कृति की बात करने लगते है,वैसे भी मुझे शुगर है खामख्वाह मीठा खाना पडेगा ।बडी मुश्किल से आधा किलो वजन कम किया है क्यू बर्बाद करने पर तुली हो।
खैर पत्निजी के सामने सारे बहाने बेमानी थे।सो थक हार कर मै अनमने मन से सहमता हुआ बाहर निकला पत्नि जी मोबाईल में नजरे गडाए विजयी मुद्रा में मुस्कुरा रही थी।

दुकानों पर रंगीन रौशनियाँ हो रही थी।लोग एक दूसरे को आर्टिफिशियल फूल देकर बधाई दे रहे थे।तभी रास्ते मे मी. शर्मा जी मिल गए ।होली विश करके उन्होने एक कलर्ड कार्ड और कलर की डिब्बी देकर बोले —हैप्पी होली!
मेरी सहमी नजरो को देखकर वो बोले चौबे जी–अब डरने की जरूरत नही!वो जमाना गया जब प्रेम से एक दूसरे को रंग लगाकर गले लग जाया करते थे।सारे बैर भाव भूलकर भरपेट मिठाई और ठहाके लगाया करते थे।
अब रंगों से सरोबार करने की प्रथा नहीं रही नये वर्जन का जी.आई.एफ लाईए सारे त्यौहार खुद ही मन जायेगे।
शर्मा जी अपना मोबाईल दिखाते हुए बडे खुश होकर बोले ये देखो चौबे जी पचास जी.आई.एफ पूरे सौं तरह के स्टीकर तीन सौ चार सौ होली के वीडियो और ये देखो रंगबिरंगी कमसिन गौरीयों के विडियों,और उतने ही शुभकामनाओं के संदेश !ये बस बताते हुए बताते हुए शर्मा जी खुद भी गुलाबी हो गए।
बाजार का काम निपटा कर घर पहूँचा तो टी.वी. स्क्रीन रंगो से सरोबार थी ।खूब बौछारें पड रही थी ।मैने अपने सूने गालो पर हाथ फेरा तो दस साल पहले की होली में खो गया ।एक सप्ताह पहले से
होली का प्लान बन जाया करता था ।दोस्तो और परिवार के साथ खूब रंग खेला करते थे। ठंडाई और मिठाई का आनंद एक दूसरे के घर जाकर लिया जाता था।आज वही होली मोबाईल से उडेले गए रंगो से खुशी ढूँढने का प्रयत्न कर रहे है।
मैने सामने पडी गुलाल की पुडियाँ से एक मुट्ठी गुलाल निकाल कर पत्नि जी के गालो पर उडेल दिया ।मैने टी.वी बंद कर दिया ।पत्नि जी ने भी मिठाई मेरे मूँह मे ढूँस दी थी।हैप्पी होली कहते ही मै रंगो से सरोबार था।
गली में अब भी सन्नाटा था लगता है सभी आँनलाइन होली में व्यस्त है।
तभी मुझे चिढाता हुआ एक नवयुवक साफ सुथरे धुले कपडो में मोबाईल पर होली के रंगीन गीतो पर झुमता निकल गया।

#अर्चना  मंडलोई

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