ज़रूरी क्या है अभी आ के लौट जाने की
ज़रा सी लाज तो रख लो गरीबखाने की
सुना है वो यकीं जीतने में रखता है
सुना है उसकी भी आदत थी हार जाने की
खुदा ने फिर से बचाया अना परस्तों से
किसी ने आबरू रख ली गरीबखाने की
वो इक हवेली जो पस्ती में दिख रही हैअभी
किसी को थी नहीं जुर्रत नज़र उठाने की
भला मैं बेचता अपने जमीर को कब तक
मुझे वो चीज़ समझता था चार आने की
ये वक्त कितना कठिन है ज़रा पता तो चले
तुम्हें तो फिक्र पड़ी है ग़ज़ल सुनाने की
#डॉ.जियाउर रहमान जाफरीपरिचय : डॉ.जियाउर रहमान जाफरी की शिक्षा एम.ए. (हिन्दी),बी.एड. सहित पीएचडी(हिन्दी) हैl आप शायर और आलोचक हैं तथा हिन्दी,उर्दू और मैथिली भाषा के कई पत्र- पत्रिकाओं में नियमित लेखन जारी हैl प्रकाशित कृति-खुले दरीचे की खुशबू(हिन्दी ग़ज़ल),खुशबू छूकर आई है
और चाँद हमारी मुट्ठी में है(बाल कविता) आदि हैंl आपदा विभाग और राजभाषा विभाग बिहार से आप पुरुस्कृत हो चुके हैंl आपका निवास बिहार राज्य के नालंदा जिला स्थित बेगूसराय में हैl सम्प्रति की बात करें तो आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य करते हैंl