स्वर्णिम स्वप्न संक्षिप्तता ही गढ़…

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manmohan gupta
`संक्षिप्तता`
जब हुई तो थाली बजी
कांसे की, 
सजा हुई थी उसे जांचें की।
संक्षिप्तता ने सुमन खिलाए
हैं खुशहाली के,
अन्तरआत्मा से तृप्तित
अश्रु बह रहे हैं,
घरवाली के।
संक्षिप्तता की अभिलाषाएं,
अंतरिक्ष में उड़ान भरने की 
हैं।
हर क्षेत्र में संक्षिप्तताएं
पनप रही हैं आज,
इसी में छिपा है उसकी प्रगति
का राज।
उसे बढ़ाना है,
उसे पढ़ाना है।
संक्षिप्तता,
संक्षिप्त से आगे बढ़ रही है
स्वर्णिम स्वप्न,संक्षिप्तता ही गढ़ रही है।

#मनमोहन गुप्ता 

परिचय : मनमोहन गुप्ता की शैक्षिक योग्यता एम.ए (हिन्दी,इतिहास, पत्रकारिता)और एम.एड. हैl आप शिक्षा विभाग से २०१३ में स्वैच्छिक सेवानिवृत हुए हैंl वर्तमान में बतौर सम्प्रति स्वतंत्र साहित्य लेखन जारी हैl प्रकाशन एवं प्रसारण देखें तो १९६९ में दैनिक अखबार में प्रथम प्रकाशन हुआ थाl तत्पश्चात आकाशवाणी जयपुर,मथुरा और आगरा से अनवरत प्रसारण होता रहा है,जिसमें राज्य स्तरीय रूपक `परिवर्तन` आकाशवाणी मथुरा के माध्यम से लखनऊ केन्द्र से प्रमुख रूप से प्रसारित होना हैl आपको भरतपुर में ‘लोहागढ़ कौ झरोखा’ के संस्थापक स्तम्भ लेखन का कार्यानुभव हैl ऐसे ही कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं और साक्षात्कार प्रकाशित हुए हैं।मनमोहन गुप्ता का निवास राजस्थान के मण्डी अटलबंद(भरतपुर) में हैl

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