मानव गया एक बार वन विहार को,
ढूढंने मनोरंजन के कुछ आहार को
वहीं मिला उसे एक ऐसा पक्षी,
जो बोलने में था कुछ नकलचीl
मानव बोलता था जैसा-जैसा,
वह बोल सकता था कुछ वैसा
देखकर मानव बड़ा चकित हुआ,
फिर सोचा कि यह तो उचित हुआl
मनोरंजन का अच्छा साधन मिल गया,
हर्ष ऐसा कि,मानो कोई धन मिल गया
मानव ने उसको बहलाया-फुसलाया,
फिर साथ लेकर उसको घर आयाl
पक्षी तो स्वयं ही उड़ सकता है,
मन किया तो फिर जा सकता है
मानव ने फिर ऐसा सोचकर,
एक पिंजरा लाया खोजकरl
पक्षी को फिर पिंजरे में डाल दिया,
फिर मनचाहा उससे काम लिया
पक्षी जो कल तक उन्मुक्त उड़ता था,
अपने साथियों के समूह में जुड़ता थाl
स्वतंत्रता उसकी सारी खो गई,
इच्छाएं उसकी अधीन हो गई
उस पक्षी को हम तोता कहते हैं,
गलती उसकी केवल यह थीl
बोली दूसरे की उसने कह दी,
तो प्यारे तुम भी यह ध्यान रखो
अपनी बोली पर ही अभिमान रखोl
अपने देश में रहकर तोते की तरह,
दूसरे की भाषा को बोलोगे
तो दिखे अथवा न दिखे पर धीरे-धीरे,
स्वयं से ही अपनी गुलामी ले लोगेll
#अनूप सिंह
परिचय : अनूप सिंह की जन्मतिथि-१८ अगस्त १९९५ हैl आप वर्तमान में दिल्ली स्थित मिहिरावली में बसे हुए हैंl कला विषय लेकर स्नातक में तृतीय वर्ष में अध्ययनरत श्री सिंह को लिखने का काफी शौक हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य-राष्ट्रीय चेतना बढ़ाना हैl