आज गर्व के साथ हम यह कह सकते हैं कि हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा हैं। “लोकतंत्र” यानी शासन व्यवस्था की वह प्रणाली जिसमें हर बार जनता को अपना भाग्यविधाता चुनने का अवसर मिलता है। इसी लिए देश के किसी न किसी हिस्से में हर वर्ष चुनाव […]

दीप जले.. मिटे अंधेरा इस जग का रोशन हो मन मंदिर दीप जले… खिले फूल  जीवन की बगिया में लाने को खुशी मुख पर बनमाली के..  दीप जले… धरती उगले सोना करे धान का वो बिछौना हर्षाने हलधर का मन दीप जले.. भरे पेट उनका हैं जो भूखे ही सोते […]

जब चला था कर शुभारम्भ तब नहीं था ज्ञात उसको कि मिलेगी राह उसको या दबेगी चाह उसकी पर बनाये हाथ से अपने सुसज्जित और सुंदर रथ पे उसको गर्व था विश्वास भी कि यह चलेगा औ बढेगा पर नहीं कुछ विपद् पा कर के रुकेगा औ बढाया रथ को […]

जीवन एक यात्रा ऐसी जिसमे पथ के विषम जाल हैं कहीं शिखर पद के नीचे तो कहीं गर्त में झुका भाल है उठा रहा गिरि कहीं विपद् को कहीं पवन को रोक रहा है एक प्रवाह सनातन चलता काल स्वयं ही झोंक रहा चलता राही पथ पर अपने साधे निज […]

कि जीवन जीने का है काम कि जीवन मरने का है लक्ष्य कि जीवन कटता है हर याम कि जीवन बनता है बस भक्ष्य लगी है युद्धों की जो आग छेड़ता कौन है इसका राग दूर से देख जगत का नाश गाता कौन मौज का फाग जानता है जब नर […]

टूट रहे हैं पुल हर जगह गिर रहा है इन्सान दौलत जीत रही है अब तो आदमी बन रहा हैवान.. चंद सिक्कों की खातिर सब तुले हैं बेचने पर ईमान समर्थ लगे हैं लूटपाट में जनता हो रही परेशान.. चल पड़ा है अजीब सा अब दौर हर दिन के हादसों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।