साज सजे धरती नित सुंदर

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amitabh priydarshi
आया फागुन बदला मौसम,
खिल गई धरती और खिले हम।
विहंसी नदिया सात समंदर,
साज सजे धरती नित सुंदर।
फूली सरसों,गेहूं हरसाया,
चना-मटर संग रास रचाया।
मादकता भरी हवा के अंदर,
साज सजे धरती नित सुंदर।
सहज प्रेम का मौसम है यह,
विरही हृदय कहे कुछ रह-रह।
हुआ आबाद जो अब तक था खंडहर,
क्योंकि साज सजे धरती नित सुंदर।
पक्षी कूजे,करते कलरव,
हम भी भूलें राग-द्वेष सब।
बन जाएं अब मस्त कलंदर,
साज सजे धरती नित सुंदर।

#अमिताभ प्रियदर्शी 

परिचय:अमिताभ प्रियदर्शी की जन्मतिथि-५ दिसम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-खलारी(रांची) है। वर्तमान में आपका निवास रांची (झारखंड) में कांके रोड पर है। शिक्षा-एमए (भूगोल) और पत्रकारिता में स्नातक है, जबकि कार्यक्षेत्र-पत्रकारिता है। आपने कई राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक अखबारों में कार्य किया है। दो अखबार में सम्पादक भी रहे हैं। एक मासिक पत्रिका के प्रकाशन से जुड़े हुए हैं,तो  आकाशवाणी रांची से समाचार वाचन एवं उद्घोषक के रुप में भी जुड़ाव है। लेखन में आपकी विधा कविता ही है। 
सम्मान के रुप में गंगाप्रसाद कौशल पुरस्कार और कादमबिनी क्लब से पुरस्कृत हैं। ब्लाॅग पर लिखते हैं तो,विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा रेडियो से भी रचनाएं प्रकाशित हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज को कुछ देना है

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