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मुझे ऐसा राज्य नहीं चाहिए
जहाँ सदैव परीक्षा सीता दे,
क्या लक्ष्मण का कर्तव्य नहीं जो,
जो लौट के वन से हाथों में गीता ले।
माना राम का राजधर्म था
सत्य संहिता लिखने का,
पर बेचारी उर्मिला का दोष कहाँ
बिन कारण वनवास भोगने का।
धर्मनिष्ठ की सदा ऋचाएँ हमने
सुनी सत्य कहानी में,
पर वे भी डूब सके न शायद
शक्ति की आंखों के पानी में।
उन्हें तो माता सीता के
चरित्र पर ही संदेह हुआ,
पर लक्ष्मण को कैसे भूल गए
जो उर्मिला से विदेह हुआ।
माना उनके राजधर्म का
अनन्त अहं अखण्डित था,
पर तब भी वे खामोश रहे,
जब माई पर आरोप मण्डित था।
सबसे बेहतर तो रावण था,
जो सुर्पणखा के लिए लड़ पड़ा,
लंका का भी मोह तज कर
युद्ध में अकेला धड़ पड़ा।
साक्ष्य चाहिए तो उर्मिला के
आंसूओं को छू आईए,
पुरुष प्रधान समाज देखने
आप अयोध्या जाईए।
नहीं चाहिए ऐसा राज्य,
जहाँ अवनि शक्ति का ग्रास करें,
चाहिए मुझे निज वैभव ऐसा,
जहाँ शकुन्तला भी राज करें।
आओ मिलकर हम सब,
धारणाओं को बदल डालें,
सर्वश्रेष्ठ कोपल को ‘अवि’
स्वयं अविचल कर डालें।
आओ मिलकर हम सब,
धारणाओं को बदल डालें…
(गीता से तात्पर्य सत्य की शपथ से है। )
#डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’
परिचय : अर्पण जैन ‘अविचल’ खबर हलचल न्यूज के संपादक है और पत्रकार होने के साथ साथ , शायर और स्तंभकार भी हैं| भारतीय पत्रकारीता पर शोध कर रहे हैं जैन ने ‘आंचलिक पत्रकारों पर एक पुस्तक भी लिखी हैं | अविचल ने अपने कविताओं के माध्यम से समाज में स्त्री की पीड़ा, परिवेश का साहस और व्यवस्थाओं के खिलाफ तंज़ को बखूबी उकेरा हैं और आलेखों में ज़्यादातर पत्रकारिता के आधार आंचलिक पत्रकारिता को ज़्यादा लिखा हैं | मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील में पले-बड़े और इंदौर को अपना कर्म क्षेत्र बनाया | बेचलर आफ इंजीनियरिंग (कंप्यूटर साइंस) से करने के बाद एमबीए और एम जे की डिग्री हासिल की | कई पत्रकार संगठनों के राष्ट्रीय स्तर की ज़िम्मेदारियों से नवाज़े जा चुके अर्पण जैन ‘अविचल’ भारत के २१ राज्यों में अपनी टीम का संचालन कर रहे हैं | भारत का पहला पत्रकारों के लिए बनाया गया सोशल नेटवर्क और पत्रकारिता का विकीपेडीया “www.IndianReporters.com” भी जैन द्वारा ही संचालित किया जा रहा है|
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