सुबह उठते ही मां ने घर में झाड़ू लगाने के लिए झाड़ू हाथ मे ली, तो कटी झाड़ू को देखकर मां झल्ला उठी । बच्चो को डांटते हुए मां बोली, ….सच-सच बताना, किसने झाड़ू का यह हाल किया । देखते ही देखते तीनों बच्चे मेघा, भय्यू और किशु लाइन से […]

प्रशिक्षण कालेज के पहले ही दिन मेरा सामना कालेज की एक प्यारी सी लड़की से हुआ, मुझे भविष्य के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था कि कभी हम इस ठाकुराइन से इतना प्यार करने लगेंगे की जान भी दे सकते हैं। बात करने की हिम्मत तो कभी होती नहीं […]

सोनभद्र के घने जंगलों के बीच आदिवासी बाहुल्य एक ऐसा गांव जहां मोबाईल में नेटवर्क पहाड़ पर चढ़े बिना नहीं पकड़ता, जहां शाम होते ही लोगों को पहाड़ पर जाने से मना कर दिया जाता था। गांव के लोगों का ऐसा मानना है की शाम के बाद रात में पहाड़ी […]

तुम्हें याद कर के पुकारा करेंगे अब तुम बिन हम ना गुजारा करेंगे तेरी रुसवाईयों से भी मुक्कमल करके जीवन के हर मोड़ पर तुझे इशारा करेंगे रूठकर जीवन में कभी ना तुझसे तेरी यादों से हम ना किनारा करेंगे मेरे जीवन की बेशकीमती दर्पण हो तुम तुम बिन हर […]

क्षत्रियों पर संकट जब आन पड़ी, तब हिन्द ने रुड़की में ऐसा शेर जना। तिहाड़ भी जिसको रोक न सका, अफगानिस्तान भी न कर सका मना।। पृथ्वीराज चौहान की अस्थियों को भी जिसने, मुल्लों के मुल्क से डटकर छीन लिया। चार बांस चौबीस गज से भी बड़े जिगरे वाला, मां […]

साहित्य यात्रा : धूप आंगन की , सात खण्ड में विभक्त एक ऐसा गुलदस्ता है जिसमें साहित्यिक क्षेत्र की विभिन्न विधाअो के फूलों की गंध को एक साथ महसूस करके उसका आनन्द लिया जा सकता है । भारतवर्ष की ख्यात लेखिका श्रीमति शशि पुरवार ने इस गुलदस्ते को आकार दिया […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।