पीर पराई

0 0
Read Time1 Minute, 34 Second
 ganesh madulkar
अरे ओ जालिम हरजाई,
तू क्या जाने पीर पराई।
          इस कदर तेरी याद में पूरी रात,
          आंखों ही आंखों  में बिताई।
  प्रेम की बरसात में भीगे थे हम,
  देख फिर से वो प्रेम बदरी छाई।
               अरे ओ जालिम हरजाई,
               तू क्या जाने पीर पराई।
 जिस रस्ते से तू गुजरी थी कल,
 उसी राह हमने फिर पलकें बिछाई।
            हर समय तेरे ही ख्वाब देखता,
            तेरी यादों ने मेरी नींद चुराई।
  जी रहा हूँ तेरी यादों के सहारे,
  क्यों आज फिर तेरी याद आई।
                अरे ओ जालिम हरजाई,
                तू क्या जाने पीर पराई।

          #गणेश मादुलकर

परिचय: गणेश मादुलकर का साहित्यिक उपनाम-मुसाफ़िर है। इनकी जन्मतिथि -५ सितम्बर १९९७ तथा जन्म स्थान-गांव ग्राम बम्हनगावं(मध्यप्रदेश)है। शहर हरदा में बसे हुए गणेश मादुलकर अभी विद्यार्थी काल में हैं। यह किसी विशेष विधा की अपेक्षा सब लिखते हैं। आपके दो प्रकाशन आ चुके हैं,जिसमें एक साझा संग्रह है। इनके लेखन का उद्देश्य सामाजिक रूढ़िवादिता पर कटाक्ष प्रहार के साथ ही प्रकृति चित्रण,देश-काल, वातावरण एवं अन्य विषय पर भी लेखन जारी है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कर्म

Thu Jan 25 , 2018
कर्म सदा अच्छे करो सबका आशीष तुम पाओगे, दिल में सबके राज करोगे और-सबके बन जाओगे। पावन कर्मों से हम सब सबके प्रिय बन जाते हैं, जब कभी हम न हों तो फिर,सबको याद आते हैं। भूखे को भोजन करवाना प्यासे को पिलाना पानी, चेहरे पर मुस्कान रखना और मीठी […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।