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सर्दी ने मचाई गुंडागर्दी,
पहनकर शीतलहर की वर्दी।
क्या बच्चे-बूढ़े,क्या जवान,
थर-थर कांप रहे ऐसी सर्दी॥
दूध संग पीएं खारक-हल्दी,
शरीर रहे बच्चों सदा हेल्थी।
गरमागरम जलेबी,गराडू भी,
खूब भाते आती है जब सर्दी॥
मम्मी कहे सो जा बेटा जल्दी,
रजाई,कंबल है हमारे हमदर्दी।
सूरज दादा भी लेट हो जाते,
जब कोहराम मचाती है,सर्दी॥
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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