मरना होगा

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sanjeev
कागतन्त्र है,
काँव-काँव
करना ही होगा
नहीं किया तो मरना होगा।
गिद्ध दिखाते आँख,
छीछड़े खा फ़ैलाते हैं।
गर्दभ पंचम सुर में,
राग भैरवी गाते हैं।
जय नेपाल पराजय,
कर प्रबंध झंडा फ़हराते हैं।
हुए निसार सहमत जो
उनको दिन-रात डराते हैं
नाग तंत्र के
दाँव-पेंच,
बचना ही होगा,
नहीं बचे तो मरना होगा।
इस सीमा से आतंकी
जब मन घुस आते हैं।
उस सरहद पर डटे
पड़ोसी सड़क बनाते हैं।
ब्रम्ह्पुत्र के निर्मल जल में
गंद मिलाते हैं।
ये हारें तो भी अपनी
सरकार बनाते हैं।
स्वार्थ तंत्र है
जन-गण को
जगना ही होगा,
नहीं जगे तो मरना होगा।
नए साल में नए तरीके
हम अपनाएँगे।
बाँटें-तोड़ें,बेच-खरीदें
सत्ता पाएँगे।
हुआ असहमत जो उसका
जीना मुश्किल कर दें
सौ बंदर मिल,घेर शेर को,
हम घुड़काएँगे।
फ़ूट मंत्र है
एकसाथ
मिलना ही होगा,
नहीं मिली तो मरना होगा॥
                 #संजीव वर्मा सलिल

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