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गिरकर उठना,उठकर चलना,
यह काम है संसार का।
कर्मवीर को फर्क न पड़ता,
कभी जीत और हार का॥
जो भी होता है घटनाक्रम,
रचता स्वयं विधाता है।
आज लगे जो दंड वही,
पुरस्कार बन जाता हैं॥
निश्चित होगा प्रबल समर्थन,
अपने सत्य विचार का।
कर्मवीर को फर्क न पड़ता,
कभी जीत और हार का॥
कर्मों का रोना रोने से,
कभी न कोई जीता है।
जो विष धारण कर सकता है,
वह अमृत को भी पी लेता है॥
संबल यह विश्वास ही है,
अपने दृढ़ आधार का।
कर्मवीर को फर्क न पड़ता,
कभी जीत और हार का॥
#मनु जोशी
परिचय:मनोरमा जोशी की जन्मतिथि-१९दिसम्बर १९५३ और
जन्म स्थान-नरसिंहगढ़ है। वर्तमान में आप इन्दौर के विजय नगर में रहती हैं। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। विधा-कविता,आलेख लिखती हैं।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहा है। सम्मान में राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान, साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।
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Sat Dec 30 , 2017
दे विरह वेदना कौन ? तड़पा गया, बन के छलिया,छल के कहां चला गया। मैं बिलखती हृदय में यूँ संताप ले, अश्रु गिरते नयन के हैं अब बह चलें। कौन दुष्यन्त बनकर हमारा नयन, दे गया यूँ निशानी न लगता है मन॥ कौन परदेशिया लूट सब कुछ गया, इस अभागिन […]